साहित्य लहर
कविता : बादल
तपती राहों में आकर सूरज गर्मी के मौसम में कभी पिघलता जाड़े के मौसम में यह बहुत देर से रोज निकलता सबका दोस्त बना बादल बरसात में दस्तक देता #राजीव कुमार झा
दोस्ती या दुश्मनी
दोनों ही स्थितियों में
तटस्थता का भाव
सबको दोस्ती का
सामर्थ्य प्रदान करता
आदमी फिर कभी
अकेला नहीं रहता
सारे जाने अनजाने
लोगों से दोस्ती की
बातें
रोज करता रहता
अपने मन से बातें
करता
घर के बाहर आकर
चलता रहता
उसे देखकर मौसम
हंसता
तपती राहों में आकर
सूरज
गर्मी के मौसम में
कभी पिघलता
जाड़े के मौसम में
यह बहुत देर से
रोज निकलता
सबका दोस्त बना
बादल
बरसात में दस्तक
देता