साहित्य लहर

कविता : धूल

कविता : धूल… जिंदगी के पास कोई सपनों की नदी बहती रहती सुबह गुजरती रह शाम में हंसती सबको पुकारती कहती यहां धूल उड़ती आग का खेल दोपहर रविवार की रेलमपेल याद आता दो दिलों का मेल #राजीव कुमार झा

तुम खुश हो
फिर कोई बात
अब कहीं नहीं
होगी
यारों की बस्ती
सितारों से सजी
रहती
गुमनाम होकर
धूप आती

जिंदगी के पास
कोई
सपनों की नदी
बहती रहती
सुबह गुजरती
रह
शाम में हंसती

सबको पुकारती
कहती
यहां धूल उड़ती
आग का खेल
दोपहर रविवार की
रेलमपेल
याद आता
दो दिलों का मेल

विचार वीथिका : जीवन साधना संयम का नाम है


कविता : धूल... जिंदगी के पास कोई सपनों की नदी बहती रहती सुबह गुजरती रह शाम में हंसती सबको पुकारती कहती यहां धूल उड़ती आग का खेल दोपहर रविवार की रेलमपेल याद आता दो दिलों का मेल #राजीव कुमार झा

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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