साहित्य लहर
कविता : कॉफी की दुकान

कविता : कॉफी की दुकान… बरसात में यहां चतुर्दिक फूलों की बहार फैली रहती ग्रीष्म की गुमशुदगी में अब कभी यहां बिजली कड़कती रात की बरसाती में तुम तभी नींद में खूब हंसती सबको अक्सर कहा बरसात के बाद मेले में आने का वादा निभाना प्यार के खेल में जवानी का जलवा… #राजीव कुमार झा
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चलो पहाड़ों पर
सेब के बगीचे में चलें
तुम्हें किसी कमरे में
अपने पास बुलाकर
खूब प्यार करें।
तुम बरसाती में
लाल नीले पीले
रंगों से भीग जाओ
प्यार की सतरंगी
चुनरी पहनकर
शाम में घूमने
मॉल रोड पर आओ
बरसात में यहां
चतुर्दिक फूलों की
बहार फैली रहती
ग्रीष्म की गुमशुदगी में
अब कभी यहां
बिजली कड़कती
रात की बरसाती में
तुम तभी नींद में
खूब हंसती
सबको अक्सर कहा
बरसात के बाद
मेले में आने का वादा
निभाना
प्यार के खेल में
जवानी का जलवा
दिखाना
समोसे की दुकान पर
सुकून की कॉफी
पिलाना