यमुना-कांडी पंपिंग योजना : गुणवत्ताहीन कार्यों के मिले थे साक्ष्य, होगी जांच

यमुना-कांडी पंपिंग योजना : गुणवत्ताहीन कार्यों के मिले थे साक्ष्य, होगी जांच, प्रधान रामचंद्र सिंह रावत का कहना है कि जो पाइप बिछाए गए हैं, वह उच्च गुणवत्ता के नहीं है। मुख्य पाइप लाइन हवा में लटक रही है। पाइप लाइन को सपोर्ट देने को आरसीसी पिलर के बजाय लकड़ी के टेक लगाए गए हैं।
मसूरी। तहसीलदार नैनबाग साक्षी उपाध्याय ने जल निगम चंबा के अधिशासी अभियंता केशवानंद सेमवाल के साथ यमुना-कांडी पंपिंग योजना कार्यों का सिलासू तथा कांडी गांव में निरीक्षण किया। निरीक्षण में सामने आया कि पंपिंग योजना में हो रहे कार्य मानक के अनुरूप नहीं हैं।
अब इसकी विस्तृत जांच की जाएगी। जिसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी जाएगी। बीते 30 साल से अधिक समय से सिलवाड़ पट्टी अठज्यूला के आठ गांव पेयजल की किल्लत झेल रहे हैं। सरकार ने क्षेत्र के लोग की मांग पूरी करते हुए यमुना-कांडी पंपिंग योजना स्वीकृत की। जिसका निर्माण लगभग साल भर पहले शुरू हुआ।
जिसमें सिलासू पुल के समीप यमुना नदी में योजना के प्रमुख इंटेक का निर्माण कार्य जारी है। यमुना से लेकर कांडी मल्ली होते हुए देबीकोल व चौहान कोल पहाड़ी तक लगभग आठ किमी पाइप लाइन बिछाई जा चुकी है। कांडी ग्राम पंचायत के प्रधान रामचंद्र सिंह रावत ने योजना के कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे।
प्रधान रामचंद्र सिंह रावत का कहना है कि जो पाइप बिछाए गए हैं, वह उच्च गुणवत्ता के नहीं है। मुख्य पाइप लाइन हवा में लटक रही है। पाइप लाइन को सपोर्ट देने को आरसीसी पिलर के बजाय लकड़ी के टेक लगाए गए हैं।
पैदल मार्ग के बीचों बीच पाइप लाइन डाली जा रही है। जिससे पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। स्टोरेज टैंक अभी चालू भी नहीं हुए हैं और उनमें दरारें पड़ चुकी हैं। तहसीलदार नैनबाग साक्षी उपाध्याय ने बताया कि मामला संज्ञान में आने पर निरीक्षण किया गया। जिसमें प्रथम दृष्टया पाया गया कि कार्य मानक के अनुरूप नहीं हुए हैं। जिसकी विस्तृत रिपोर्ट बनाकर उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी।
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