
लेखक गाँव : देवभूमि में विचारों और सृजन की यात्रा का आरम्भ : कोविंद… इस महोत्सव का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह भारतीय संस्कृति, परंपराओं और लोक कलाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने का एक मंच है। यहाँ पर होने वाले संवादों और विचार-विमर्श से, हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को और अधिक समृद्ध बना सकते हैं। #अंकित तिवारी
[/box]भारत के पहले लेखक गाँव में आयोजित अंतरराष्ट्रीय साहित्य, संस्कृति एवं कला महोत्सव, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के उद्बोधन से यह स्पष्ट होता है कि यह आयोजन केवल एक साहित्यिक समारोह नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और साहित्य की एक महाकवि कथा है। इस महोत्सव में देश-विदेश से आए साहित्यकारों, लेखकों, कलाकारों और वैज्ञानिकों का संगम एक ऐसा मंच तैयार करता है, जहाँ विचारों और रचनात्मकता का आदान-प्रदान होता है।
लेखक गाँव की परिकल्पना 2007 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के चिंतन से जन्मी, जब उन्होंने लेखकों और साहित्यकारों की उपेक्षा के विषय में चिंता व्यक्त की थी। इस संदर्भ में, महोत्सव के आयोजक डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने एक ऐसे स्थान की आवश्यकता महसूस की, जहाँ लेखन और साहित्य को समर्पित किया जा सके। उनके इस संकल्प का परिणाम है यह लेखक गाँव, जो न केवल लेखकों के लिए एक आश्रय है, बल्कि एक प्रेरणा स्थल भी है।
लेखन की शक्ति पर बल देते हुए, पूर्व राष्ट्रपति ने बताया कि शब्दों में अपार क्षमता होती है, जो समाज में परिवर्तन ला सकती है। यह सही है कि साहित्य और लेखन केवल पेन और कागज का खेल नहीं है, बल्कि यह मानव भावनाओं, विचारों और संस्कृति का प्रवाह है। लेखक गाँव का लक्ष्य न केवल लेखकों को एकत्रित करना है, बल्कि उन्हें एक ऐसा वातावरण प्रदान करना है, जहाँ वे अपनी रचनाओं को पूर्ण कर सकें और नए विचारों का जन्म ले सकें।
कोविड-19 महामारी के दौरान भी, निशंक जी ने लेखन को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाए रखा। यह लेखन की निरंतरता दर्शाता है कि कैसे लेखन, संकट के समय में भी, एक व्यक्ति को आत्मविश्वास और प्रेरणा दे सकता है। लेखक गाँव में आवासीय सुविधाएँ, अध्ययन के लिए पुस्तकालय, और विचार-विमर्श हेतु सभागार की व्यवस्था की गई है, जो भविष्य के रचनाकारों को प्रोत्साहित करने में सहायक होंगी। इस महोत्सव का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह भारतीय संस्कृति, परंपराओं और लोक कलाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने का एक मंच है। यहाँ पर होने वाले संवादों और विचार-विमर्श से, हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को और अधिक समृद्ध बना सकते हैं।
अंततः, यह लेखक गाँव और यहाँ आयोजित महोत्सव हमें यह समझाते हैं कि साहित्य, संस्कृति और कला के माध्यम से हम न केवल अपनी पहचान को बनाए रखते हैं, बल्कि विश्व में एक नई पहचान भी स्थापित करते हैं। यह महोत्सव निश्चित रूप से भारत को एक विकसित और सशक्त राष्ट्र के रूप में पुनर्स्थापित करने में एक मील का पत्थर साबित होगा। हम इस अद्वितीय समारोह की सफलता की कामना करते हैं और आशा करते हैं कि यह साहित्य, संस्कृति और कला के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करेगा ।