बाल साहित्य को समर्पित साहित्यकार उदय किरोला
बाल साहित्य को समर्पित साहित्यकार उदय किरोला… कार्यक्रम की समाप्ति पर प्रोत्साहन स्वरूप बच्चों व अभिभावकों तथा अतिथियों को प्रमाण पत्र आन लाइन देकर उनका हौसला अफजाई कर रहें हैं जो एक सराहनीय कदम है। बालप्रहरी तथा बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा कोरोना काल में प्रारंभ की गई गूगल मीट पर… #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
बाल प्रहरी एवं बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा उत्तराखंड ध्दारा बाल साहित्य के प्रति बच्चों में रूचि जागृत करने के लिए कोरोना काल में गूगल मीट पर आन लाइन कार्यशाला का आयोजन आरंभ किया था ताकि बच्चे घर बैठे रचनात्मक कार्य कर सकें और खाली समय का सदुपयोग कर सकें। कोरोना काल में साहित्यकार और बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा उत्तराखंड के सचिव उदय किरोला ने यह आन लाइन कार्यशाला आरंभ की थी और उन्होंने भी कभी सपने में नहीं सोचा था कि देश भर के बच्चों को एक मंच पर लाने का उनका यह सपना कितना साकार हो पायेगा।
वे अकेले चलें थे और कारवां बनता चला गया। आज इस आन लाइन कार्यशाला से हजारों बच्चे और अभिभावक जुड़े हुए हैं और वे अपनी शानदार प्रस्तुतियां देकर मंच का मान सम्मान व गौरव बढा रहें हैं वहीं दूसरी ओर स्वयं अपनी प्रतिभा को निखार रहे है और मंच का न केवल वे संचालन ही नहीं कर रहें हैं अपितु अध्यक्षता भी कर रहे हैं। जो कार्य शिक्षण संस्थाओं में बाल सभाओं के द्वारा कराया जाना चाहिए, वहीं कार्य उदय किरौला नि शुल्क हर रोज बच्चों को घर बैठे आन लाइन सीखा कर समाज की अनोखी व अनूठी सेवा कर रहें हैं।
हर रोज नये विषयों पर कार्यशाला आयोजित करना एक कठिन कार्य है लेकिन उदय किरौला के लिए यह कार्य आसान है, चूंकि वे अपने आप बाल साहित्य के लिए समर्पित हो गये हैं। यहीं वजह है कि वे कवि सम्मेलन, चित्रकला प्रतियोगिता, कविता पाठ, चुटकुला गोष्ठी, पहेलियां वाचन, अनमोल वचन लेखन का बच्चों में ज्ञान का संचार कर रहें हैं। कलम, कागज, लेखनी का सम्मान करने वाला यह सिपाही जो कभी अकेला चला था और आज उसके पीछे कारवां चल पडा।
कार्यक्रम की समाप्ति पर प्रोत्साहन स्वरूप बच्चों व अभिभावकों तथा अतिथियों को प्रमाण पत्र आन लाइन देकर उनका हौसला अफजाई कर रहें हैं जो एक सराहनीय कदम है। बालप्रहरी तथा बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा कोरोना काल में प्रारंभ की गई गूगल मीट पर ऑनलाइन कार्यशालाओं ने 1017 से भी अधिक एपिसोड पूरे कर लिए हैं। जो सद् साहित्य के क्षेत्र में गर्व व गौरव की बात है।