
जहानाबाद। बिहार के प्रसिद्ध साहित्यकार और इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक को उत्तर प्रदेश के ललितपुर में आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में कला, संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। सत्येन्द्र कुमार पाठक की जन्मभूमि अरवल जिले की करपी है, जबकि उनका कर्मक्षेत्र अरवल और जहानाबाद रहा है। यह सम्मान राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की स्मृति में आयोजित दो दिवसीय साहित्यिक समारोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। इस संगोष्ठी का आयोजन उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ और नेहरू महाविद्यालय, ललितपुर के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। पाठक को समारोह के दौरान स्मृति चिह्न और अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में देशभर के विद्वानों और साहित्यकारों ने भाग लिया और सत्येन्द्र कुमार पाठक के बहुआयामी साहित्यिक और ऐतिहासिक कार्यों की सराहना की। उनका योगदान न केवल साहित्य और इतिहास के अध्ययन में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह इस बात का भी प्रमाण है कि साहित्य और संस्कृति की कोई भौगोलिक सीमा नहीं होती। उनके सम्मान ने न केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों को मान्यता दी है, बल्कि नई पीढ़ी की प्रतिभाओं के लिए प्रेरणा का भी स्रोत बना है।
पाठक के इस सम्मान पर जीवनधारा नमामी गंगे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. उषाकिरण श्रीवास्तव, लखनऊ से नृतंकहनियाँ के संपादक सुरेंद्र अग्निहोत्री, निर्माण भारती के संपादक जी.एन. भट्ट, जीवनधारा नमामी गंगे के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. हरिओम शर्मा और पटना से राधामोहन मिश्र ‘माधव’ सहित कई साहित्यकारों और पत्रकारों ने उन्हें बधाई दी। सत्येन्द्र कुमार पाठक का यह सम्मान साहित्य, संस्कृति और इतिहास के क्षेत्र में उनके सतत प्रयासों का प्रतीक है और आने वाले समय में युवा लेखकों व शोधकर्ताओं के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम करेगा।