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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए साहसिक, सांस्कृतिक और वन्यजीव पर्यटन गतिविधियों को तेज करने के निर्देश दिए हैं। सरकार का लक्ष्य उत्तराखंड को केवल मौसमी नहीं, बल्कि वर्षभर सक्रिय पर्यटन राज्य के रूप में स्थापित करना है।
- उत्तराखंड को वर्षभर पर्यटन गंतव्य बनाने की तैयारी, 20 दिसंबर तक सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के आदेश
- लद्दाख मॉडल पर उत्तराखंड में शुरू होगा स्नो लेपर्ड टूर
- हर जिले में ‘वन डिस्ट्रिक्ट–वन फेस्टिवल’, राज्य स्तर पर अंतरराष्ट्रीय आयोजन
- गंगोत्री क्षेत्र को शीतकालीन पर्यटन के लिए खोलने की तैयारी
- सरयू कॉरिडोर, प्रयाग घाटों और धार्मिक स्थलों के विकास को मिली रफ्तार
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में शीतकालीन पर्यटन को नई गति देने के उद्देश्य से स्नो लेपर्ड साइटिंग, हेली-स्कीइंग और हिमालयन कार रैली को तत्काल प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि शीतकालीन यात्रा को आकर्षक और सुव्यवस्थित बनाने के लिए 20 दिसंबर तक कुमाऊं मंडल विकास निगम और गढ़वाल मंडल विकास निगम की सभी व्यवस्थाएं पूरी तरह दुरुस्त की जाएं। इसके साथ ही होटल व्यवसायियों के साथ बैठक कर पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं देने की दिशा में ठोस कार्य किया जाए।
मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि उनके जिलों के प्रमुख पर्यटक स्थलों से जुड़ी सड़कें, होटल, बिजली, पानी और अन्य बुनियादी सुविधाएं पूरी तरह सुचारु होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे स्वयं सड़क मार्ग से शीतकालीन पर्यटन व्यवस्थाओं का स्थलीय निरीक्षण करेंगे, ताकि जमीनी स्तर पर किसी भी प्रकार की कमी को दूर किया जा सके। शीतकालीन पर्यटन से जुड़े सभी हितधारकों के साथ दिल्ली में एक अहम बैठक आयोजित करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने “वन डिस्ट्रिक्ट–वन फेस्टिवल” की अवधारणा को मजबूती देने पर जोर देते हुए कहा कि राज्य के प्रत्येक जनपद में एक भव्य महोत्सव आयोजित किया जाए, जो उस जनपद की विशिष्ट पहचान बने। इन आयोजनों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, प्रवासी उत्तराखंडियों, ग्राम प्रधानों, वरिष्ठ अधिकारियों और आम जनता की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही राज्य स्तर पर एक अंतरराष्ट्रीय महोत्सव आयोजित करने की घोषणा की गई है, जिसमें देश-विदेश से विशिष्ट व्यक्तियों और प्रवासियों को आमंत्रित किया जाएगा।
शनिवार देर रात्रि मुख्यमंत्री आवास में हुई समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने बागेश्वर में सरयू कॉरिडोर के विकास और सरयू नदी के उद्गम स्थल को धार्मिक व आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। उन्होंने बागेश्वर क्षेत्र में ट्राउट मछली पालन, कीवी और लाल चावल के उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए इनके प्रोत्साहन पर भी विशेष ध्यान देने को कहा।
मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार, निजी संस्थानों, सामाजिक और धार्मिक संगठनों के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय स्तर का भव्य योग महोत्सव आयोजित करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि पर्यटन विकास से जुड़ी योजनाओं में पर्यटकों, टूर ऑपरेटर्स, होटल व्यवसायियों और अन्य हितधारकों के सुझावों को शामिल किया जाए, ताकि सुविधाएं पर्यटकों की अपेक्षाओं के अनुरूप विकसित हो सकें। पौड़ी के पैठाणी स्थित राहु मंदिर और लाखामंडल मंदिर के सौंदर्यीकरण कार्यों को शीघ्र पूरा करने के निर्देश भी दिए गए।
देवप्रयाग सहित राज्य के सभी प्रमुख प्रयागों और घाटों में भव्य आरती आयोजित करने और नए घाटों के विकास के निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने धार्मिक पर्यटन को नई पहचान देने पर बल दिया। बैठक में सचिव पर्यटन ने जानकारी दी कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर उत्तराखंड में लद्दाख मॉडल पर “स्नो लेपर्ड टूर” शुरू किया जा रहा है, जिसके तहत शीतकाल में गंगोत्री जैसे उच्च हिमालयी क्षेत्रों को नियंत्रित रूप से पर्यटकों के लिए खोला जाएगा और गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान में प्रायोगिक तौर पर हिम तेंदुआ पर्यटन संचालित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस पहल से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और होमस्टे, स्थानीय गाइड, साहसिक पर्यटन जैसी गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। शीतकालीन पर्यटन के लिए औली, खलिया टॉप, बेदनीधार जैसे क्षेत्रों में स्कीइंग, ट्रेकिंग, पैराग्लाइडिंग और रैपलिंग, मसूरी, नैनीताल और उत्तरकाशी में विंटर कार्निवल, ऋषिकेश में अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव तथा जिम कॉर्बेट, नंधौर और गंगोत्री क्षेत्र में वन्यजीव पर्यटन गतिविधियों की योजना बनाई गई है। सरकार का स्पष्ट उद्देश्य उत्तराखंड को वर्षभर सक्रिय और आकर्षक पर्यटन गंतव्य के रूप में स्थापित करना है।





