बचपन को अख़बारों में जगह क्यों नहीं? | Devbhoomi Samachar™
October 22, 2025

1 thought on “बचपन को अख़बारों में जगह क्यों नहीं?

  1. आज पत्रकारिता का व्यवसायीकरण हो गया है इसलिए पाठकों की सुविधाओं की अनदेखी हो रहीं हैं । आज से दो दशक पहले अखबार का पूरा पृष्ठ बच्चों के लिए आरक्षित था वह अब विज्ञापनों की भेंट चढ़ गया है । इतना ही नहीं अब डेस्क पर बैठ कर काम करने वाले साहित्य से अनभिज्ञ हैं वे केवल पेट भराई हेतु कार्य कर रहे हैं वे क्या जानें कि बाल जगत क्या है । वहीं आज हिंसा , मारपीट , बलात्कार , भ्रष्टाचार जैसे आपराधिक समाचारों से अखबार भरे पड़े हैं तो किसे फुर्सत हैं । बाल साहित्य सृजन की । हर कोई पुरस्कार पाने को दौड़ रहा हैं ।

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