उत्तराखंड में बिना लाइसेंस चल रहे वन विभाग के हथियार
उत्तराखंड में बिना लाइसेंस चल रहे वन विभाग के हथियार, शिवालिक वृत्त के पास 73 बंदूक, 93 राइफल, तीन रिवाल्वर, सात टैंकुलाइजर गन सहित कुल 176 हथियार हैं। उत्तरी कुमाऊं वृत्त में 12 बंदूक, 31 राइफल, 10 टैंकुलाइजर गन, छह अन्य सहित कुल 59 हथियार हैं।
देहरादून। उत्तराखंड में 71 प्रतिशत से अधिक भूभाग पर खड़े वन क्षेत्रों और उनमें रहने वन्यजीवों की रक्षा वन विभाग जिन हथियारों के दम पर कर रहा, वर्षों से उनके लाइसेंस का नवीनीकरण ही नहीं हुआ। वे किस हाल में हैं और संख्या कितनी है, आंकड़ा भी विभाग के पास नहीं है। पिछले दिनों वनों में सुरक्षा मामलों को देखने वाली समिति की बैठक में यह बात सामने आई, तब जाकर अफसरों के कान खड़े हुए।
वन विभाग में वन और वन्यजीवों की रक्षा के लिए तीन तरह के हथियार उपलब्ध कराए जाते हैं। इनमें 12 बोर की डबल बैरल, .351 बोर की राइफल और रिवाल्वर शामिल है। इसके अलावा वन्यजीवों को चिकित्सा या अन्य कारणों से पकड़ने से पूर्व बेहोश करने के लिए पंप एक्शन गन या टैंकुलाइजर गन का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, यह एक तरह का इंस्ट्रूमेंट है, जो शस्त्र श्रेणी में नहीं आता है। टैंकुलाइजर गन को छोड़ अन्य हथियारों को रखने या चलाने के लिए आर्म्स एक्ट के तहत लाइसेंस की जरूरत है।
इतना ही नहीं, इन्हें समय-समय पर रिन्यू भी करना पड़ता है। विभाग में क्षेत्रीय रेंजों में तैनात फॉरेस्ट गार्ड, फॉरेस्टर, डिप्टी रेंजर, रेंजर और डीएफओ को हथियार रखने का अधिकार प्राप्त होता है। विभागीय सूत्रों की मानें तो वन विभाग में सालों से कई शस्त्रों का लाइसेंस रिन्यू ही नहीं हुए हैं। विभाग के पास कुल कितने हथियार हैं और वह किस स्थिति में हैं, इसकी भी ठीक-ठीक जानकारी संबंधित अफसरों के पास नहीं है। विभाग के सूत्रों की माने तो वन विभाग के पास 50 प्रतिशत हथियार ऐसे हैं, जिनके लाइसेंस ही नहीं हैं।
वन विभाग में कई सालों से नए हथियारों की खरीद नहीं हुई, जबकि वन और वन्यजीवों से संबंधित अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसा क्यों हुआ, इस संबंध में वन विभाग का कोई भी अधिकारी कुछ कहने को तैयार नहीं है। वर्ष 2017 के आंकड़ों के अुनसार, भागीरथी वृत्त के पास 12 बोर की 14 बंदूक, 20 राइफल, दो टैंकुलाइजर गन, सात अन्य सहित कुल 43 हथियार हैं। यमुना वृत्त सर्किल के पास 12 बोर की सात बंदूक, 25 राइफल, दो टैंकुलाइजर गन, तीन अन्य सहित कुल 37 हथियार हैं। गढ़वाल वृत्त के पास पांच बंदूक, 19 राइफल, एक रिवाल्वर, दो टैंकुलाइजर गन सहित कुल 27 हथियार हैं।
शिवालिक वृत्त के पास 73 बंदूक, 93 राइफल, तीन रिवाल्वर, सात टैंकुलाइजर गन सहित कुल 176 हथियार हैं। उत्तरी कुमाऊं वृत्त में 12 बंदूक, 31 राइफल, 10 टैंकुलाइजर गन, छह अन्य सहित कुल 59 हथियार हैं। पश्चिमी कुमाऊं वृत्त के पास छह राइफल, एक रिवाल्वर, दो टैंकुलाइजर गन सहित कुल नौ हथियार हैं। पश्चिमी कुमाऊं वृत्त के पास 118 बंदूक, 101 राइफल, 27 टैंकुलाइजर गन, सात अन्य सहित कुल 253 हथियार हैं।
संरक्षित वन्यजीव क्षेत्रों में राजाजी टाइगर रिजर्व, गोविंद पशु विहा, नंदादेवी बायोस्फेयर रिजर्व और कॉर्बेट नेशनल पार्क सबसे संवेदनशील क्षेत्र हैं। इन पार्कों में मौजूद हथियारों की बात करें तो इनके पास 213 बंदूक, 266 राइफल, 36 रिवाल्वर, 23 टैंकुलाइजर गन, पांच अन्य समेत कुल 543 हथियार हैं।
वन विभाग के पास मौजूद तमाम हथियारों के लाइसेंस के बारे में हमारे पास सही जानकारी उपलब्ध नहीं है। हथियारों के रखरखाव व मरम्मत आदि को लेकर कभी कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गई। पहली बार हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। कई प्रभागों में उपलब्ध शस्त्रों का रखरखाव निर्धारित प्रारूप में किया जाएगा।
– डॉ. समीर सिन्हा, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, वन विभाग
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