साहित्य लहर

जीवन की राह

कविता नन्दिनी

जीवन की यह राह कठिन है
संभल-संभल कर, चलना है
सुख-दुःख हैं ,जीवन के साथी
हमें इन्हीं में, पलना है ।

कदम-कदम , आतीं बाधाएँ
पल-पल संकट , आते हैं
अनगिन कंटक, हैं जीवन में
आ-आ कर, चुभ जाते हैं।

भोजन, वसन, आवास कठिन है
जीवन कितना, मँहगा है
हाट-हाट , मँहगा कुर्ता
कितना महँगा ,लहँगा है।

साथ अगर, परिवार रहे तो
सब कुछ हल हो , सकता है
मुश्किल होगी , नहीं ज़िंदगी
दुःख का पल, टल सकता है।

हार नहीं माने , जीवन में
हर बाधा ही, छलना है।
प्रेम और, साहस का सम्बल
लेकर हमको, चलना है।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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From »

कविता नन्दिनी

कवयित्री

Address »
सिविल लाइन, आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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