
सुनील कुमार माथुर, जोधपुर
जल ही जीवन है फिर भी लोग इसे व्यर्थ में ही बहा रहे हैं जो एक तरह कि नादानी के अलावा कुछ भी नहीं है। हम पीने के पानी से ही अपनी गाड़ियों को धोकर न जाने कितने लीटर पानी व्यर्थ ही बहा रहे हैं जल है तो कल है। यह जानते हुए भी अभी तक जल के महत्व को न समझना एक तरह की मूर्खता के अलावा कुछ भी नहीं है। नहाने धोने के नाम पर हम बेकार में ही पानी बहा कर अपनी शान समझते हैं। यह कैसी विडम्बना है।
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जल ही जीवन है। इसके बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। आज के समय में जल संकट एक गंभीर समस्या बन चुकी हैं। बढ़ती आबादी, बदलते मौसम और अत्यधिक मात्रा में दोहन के कारण हमारे जल स्त्रोत तेजी से सूख रहे हैं और जनता-जनार्दन की अनदेखी के चलते यह और विकट स्थिति बन रही हैं। इसलिए जल बचाओ और कल को व आने वाले दिनों को सुनहरा बनाइये
लीकेज वाले नल और पाइप्स को तत्काल प्रभाव से ठीक कराइये। वाहन धोते समय पाईप की बजाय बिल्टी व कपड़े का इस्तेमाल करें। बर्तन धोते समय नल को लगातार न चलाये अपितु आवश्यकता अनुसार धीमे चलाये। नहाने के लिए मगे व बाल्टी का उपयोग करें। नल के नीचे बैठकर या शावर के नीचे नहा कर पानी बर्बाद न करें। हर रोज घर की साफ़ सफाई के बहाने व्यर्थ पानी न बहाये। भारतीय संस्कृति में जल को देवता के रूप में पूजा जाता हैं । इसलिए सभी जल स्त्रोतों की साफ-सफाई रखें और वर्षा के जल को संग्रहित करें। जल अमृत तुल्य है और इसे बचाना हम सब का दायित्व है।
हमारे बड़े बुजुर्ग कहते थे कि पानी और मिट्टी कभी नहीं बिकती हैं। अगर हम पहले ही इस बात को समझ लेते तो आज यह दिन न देखने पडते आज पानी बोतलों में व कैम्पर मे बिक रहा है वही दूसरी ओर मटकियां सौ से डेढ़ सौ रूपए प्रति मटकी बिक रही हैं। अगर हमने पानी को बचाने के लिए अब भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए तो आने वाले समय में पैसे देने कै बावजूद भी हमें जल नहीं मिलेगा। यह एक कटु सत्य है।
जल बचाने के लिए जलदाय विभाग हर दस दिन बाद पानी की सप्लाई एक दिन के लिए पूरे शहर की बंद कर रहा हैं जिसमें भी हमें भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, जब पानी पैसा देने पर भी नहीं मिलेगा तब क्या हालात होंगे। यह एक सोचनीय विषय है। अतः जल बचाओ और जीवन को सुरक्षित कीजिए।







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