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मतदान लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव

जो राजनीति का निम्न व घटिया स्तर ही कहा जा सकता हैं। जबकि चुनाव मुद्दों को लेकर लडा जाना चाहिए। राजनीति के गिरते स्तर के कारण ही आज मतदान का प्रतिशत कम हो रहा हैं वरना मतदान तो लोकतंत्र का सबसे बडा उत्सव हैं। #सुनील कुमार माथुर, स्वतंत्र लेखक व पत्रकार, जोधपुर, राजस्थान

श्रीमती इन्दिरा गांधी के समय तक के चुनाव मुझे याद आते है कि वो भी क्या दिन थे तब चुनाव प्रचार के लिए पार्टी के कार्यालय हर मौहल्ले में खुलते थे और बच्चों को चुनाव प्रचार के लिए पार्टी की झंडियां, आकर्षक बिल्ले दिये जाते थे। बच्चों की टोलियां गली गली में नारे लगाते हुए देर रात तक घूमा करती थी।

वहीं दूसरी ओर पार्टी कार्यालय वाले क्षेत्र को झंडियों से सजाया जाता था। पार्टी कार्यालय में हर वक्त भीड रहा करती थी चूंकि वही लोग चाय पानी करते थे और मिर्ची बडे व डबल रोटी के साथ फ्री का नाश्ता करते थे और चुनाव प्रचार वाले वाहनों में घूमा करते थे।

लेकिन पिछले कुछ चुनावों से यह सब बातें एक स्वप्न के समान हो गई है। आज चुनाव मात्र आरोप प्रत्यारोप लगाकर लडे जा रहे हैं जो राजनीति का निम्न व घटिया स्तर ही कहा जा सकता हैं। जबकि चुनाव मुद्दों को लेकर लडा जाना चाहिए। राजनीति के गिरते स्तर के कारण ही आज मतदान का प्रतिशत कम हो रहा हैं वरना मतदान तो लोकतंत्र का सबसे बडा उत्सव हैं।


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