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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में रिवर्स पलायन को बढ़ावा देने हेतु प्रवासी पंचायतों के आयोजन और ग्रामीण आजीविका बढ़ाने की रणनीति पर जोर दिया। राज्य में लौटे लगभग 6282 लोग पर्यटन और लघु उद्योग में सक्रिय होकर आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
- ग्रामीण आजीविका बढ़ाने और लघु उद्योग संवर्धन पर राज्य सरकार के ठोस प्रयास
- प्रवासी पंचायतों और वेडिंग डेस्टिनेशन विकास से रिवर्स पलायन को बढ़ावा
- मुख्यमंत्री धामी ने ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग की 10वीं बैठक में दिशा-निर्देश दिए
- पर्यटन एवं स्वरोजगार को प्राथमिकता, राज्य में लौटे 6282 लोग आत्मनिर्भरता की ओर
देहरादून | मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग, उत्तराखण्ड की 10वीं बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने बैठक में रिवर्स पलायन को राज्य की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बताया और इसके समाधान के लिए सरकार द्वारा उठाए गए ठोस कदमों का विवरण प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले चार-पाँच वर्षों में राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के साधन बढ़ाने और पलायन को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें शुरू की हैं।
मुख्यमंत्री ने ग्रामीण आजीविका बढ़ाने के लिए लागू की गई योजनाओं का विवरण देते हुए बताया कि पात्र लाभार्थियों को ऋण पर अनुदान (सब्सिडी) प्रदान किया जा रहा है। इसका उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देना और लोगों को स्थानीय रोजगार में सक्रिय करना है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि राज्यभर में प्रवासी पंचायतों का आयोजन किया जाए, जिसमें देश एवं विदेश में कार्यरत प्रवासियों को आमंत्रित कर रिवर्स पलायन से जुड़ी पहलों की जानकारी दी जाए और उनके सुझाव प्राप्त किए जाएं।
मुख्यमंत्री ने आयोग के सदस्यों को अन्य राज्यों का दौरा कर रिवर्स पलायन से जुड़े नवाचारों का अध्ययन करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि त्रियुगीनारायण की तर्ज पर राज्य के 25 नए स्थलों को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाए, जिनमें सभी मूलभूत सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाएगा। पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के लिए लघु उद्योगों के संवर्धन पर भी विशेष बल दिया गया।
ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस. नेगी ने बैठक में बताया कि राज्य में अब रिवर्स पलायन का रुझान देखने को मिल रहा है। अब तक लगभग 6282 लोग अपने गाँवों में लौट चुके हैं, जिनमें देश और विदेश से लौटे प्रवासी शामिल हैं। अधिकतर लोग पर्यटन और लघु उद्योग के क्षेत्र में कार्यरत हैं और आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
बैठक में आयोग के सदस्यों ने रिवर्स पलायन को और गति देने के लिए कई रचनात्मक सुझाव प्रस्तुत किए। उपस्थित अधिकारियों में सचिव श्री विनय शंकर पाण्डेय, श्री धीराज गर्ब्याल, डॉ. श्रीधर बाबू अद्दांकी, श्री सी. रविशंकर, अपर सचिव श्रीमती अनुराधा पाल, डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट, श्री चन्द्र सिंह धर्मशक्तू, श्री संतोष बडोनी, श्री सुरेश जोशी, तथा ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग के सदस्य श्री अनिल सिंह शाही, श्री दिनेश रावत, श्री सुरेश सुयाल, श्री राम प्रकाश पैन्यूली एवं श्रीमती रंजना रावत शामिल रहे।
मुख्यमंत्री ने बैठक के समापन में अधिकारियों से कहा कि नियमित निगरानी और प्रवासियों की राय को ध्यान में रखते हुए राज्य में रिवर्स पलायन को और अधिक प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि लौटे हुए नागरिकों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित किए जाएँ और ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएँ।





