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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पीसीएस मुख्य परीक्षा पर रोक लगा दी है और प्रारंभिक परीक्षा में पाए गए गलत प्रश्नों को हटाकर नया परिणाम जारी करने का आदेश दिया है। आयोग को वर्ष 2022 के नियमों के अनुसार संशोधित मेरिट सूची तैयार करनी होगी।
- पीसीएस मेन्स परीक्षा स्थगित, हाईकोर्ट ने कहा—पहले सही रिजल्ट जारी हो
- गलत प्रश्नों पर अभ्यर्थियों की याचिका सफल, आयोग को नई मेरिट सूची बनाने के निर्देश
- छह और नौ दिसंबर की परीक्षा पर रोक, अब संशोधित प्रीलिम्स रिजल्ट के बाद आगे की प्रक्रिया
- हाईकोर्ट सख्त: विवादित प्रश्न हटें, विशेषज्ञ समिति जांच करे अन्य सवालों की
नैनीताल | उत्तराखंड सम्मिलित राज्य सिविल प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा 2025 से जुड़े विवाद पर बड़ा निर्णय सुनाते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रस्तावित पीसीएस मुख्य परीक्षा पर रोक लगा दी है। यह परीक्षा 6 और 9 दिसंबर को आयोजित की जानी थी, लेकिन प्रारंभिक परीक्षा के गलत प्रश्नों को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के बाद न्यायालय ने कहा कि जब तक संशोधित परिणाम तैयार नहीं हो जाता, तब तक मुख्य परीक्षा कराना उचित नहीं होगा। इस आदेश ने न केवल अभ्यर्थियों में नई उम्मीद जगाई है, बल्कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के लिए भी आवश्यक संशोधन करने की बाध्यता खड़ी कर दी है।
यह मामला तब उठा जब कुलदीप कुमार सहित कई अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए कुछ प्रश्नों की वैधता को चुनौती दी। ये प्रश्न सामान्य अध्ययन से जुड़े थे, और अभ्यर्थियों का तर्क था कि इनमें से कम से कम चार प्रश्न गलत तरीके से तैयार किए गए थे, जिससे परिणाम प्रभावित हुआ। यह प्रारंभिक परीक्षा 120 से अधिक प्रतिष्ठित पदों—जैसे डिप्टी कलेक्टर, पुलिस उपाधीक्षक, वित्त अधिकारी, कोषाधिकारी, सहायक नगर आयुक्त, राज्य कर अधिकारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी आदि—के लिए आयोजित की गई थी। परिणाम 8 अक्टूबर को जारी हुआ था जिसमें लगभग 1200 अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया गया था।
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मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ के समक्ष हुई। अदालत ने स्पष्ट पाया कि सामान्य अध्ययन का एक प्रश्न पूरी तरह गलत था, जिसे हटाया जाना जरूरी है। लोक सेवा आयोग ने भी इस बात को स्वीकार करते हुए कहा कि उक्त प्रश्न हटाया जाना चाहिए था। इसी आधार पर अदालत ने आयोग को निर्देश दिया कि प्रश्न संख्या 70 को तुरंत हटाया जाए और इसके बाद संशोधित प्रारंभिक परिणाम तथा नई मेरिट सूची जारी की जाए।
याचिकाकर्ताओं ने अन्य तीन प्रश्नों के विकल्पों को भी गलत बताया, जिस पर अदालत ने विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि इन तीनों विवादित प्रश्नों की निष्पक्ष जांच विशेषज्ञों की टीम करेगी और उसकी रिपोर्ट के आधार पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि बिना संशोधित मेरिट सूची के मुख्य परीक्षा आयोजित करना न्यायहित में नहीं होगा, इसलिए आयोग को सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद ही आगे बढ़ना चाहिए।
हाईकोर्ट के इस निर्णय से अब पीसीएस परीक्षा की आगे की प्रक्रिया पूरी तरह संशोधित प्रारंभिक परिणाम और नई मेरिट सूची पर निर्भर करेगी। अभ्यर्थियों और आयोग दोनों के सामने अब निष्पक्षता सुनिश्चित करने की बड़ी जिम्मेदारी है, ताकि आगामी परीक्षा प्रक्रिया पर किसी प्रकार का विवाद न रहे।





