सभी को भाता है धार्मिक पर्यटन स्थल खजुराहो
सभी को भाता है धार्मिक पर्यटन स्थल खजुराहो, खजुराहो के मंदिरों का संस्थापक यशोवर्मन नामक राजा को माना जाता है और उसके बारे में ऐसी जनश्रुति है कि वह एक अविवाहित ब्राह्मण कन्या के गर्म से उत्पन्न हुआ था… ✍️ राजीव कुमार झा
खजुराहो पन्द्रह – बीस साल पहले जाने का मौका तब मिला जब मैं सागर गया हुआ था .उन दिनों दिल्ली की एक स्वयंसेवी संस्था इस शहर के आसपास के आदिवासी गांवों में सरकार के निर्धनता उन्मूलन योजनाओं के अंतर्गत किसानों के खेतों में फसल की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए उनके खेतों में सिंचाई सुविधाओं के लिए कच्चे पक्के कुंओं की खुदाई के काम में संलग्न थी और मुझे भी इस संस्था ने यहां इस काम से जुड़ने के ख्याल से भेजा था.
हम लोग सागर के पास जैसीनगर में रहते थे और यह एक ग्रामीण बाजार था और यहां के आसपास के गांवों में हम काम करने जाते थे. सागर में भी इस संस्था ने एक मकान किराए पर लिया था जहां दिल्ली से आने वाले लोग ठहरा करते थे. जैसीनगर में उन दिनों खूब गरमी पड़ रही थी और सारे कुएं सूख गये थे इसलिए हम लोग सागर के इस मकान में आकर रहने लगे थे और एक दिन इस संस्था के सारे लोग जब किसी काम से जब भोपाल चले गये तो शाम में मेरा मन भी कहीं घूमने जाने के लिए मचलने लगा.
उस दिन बाजार में मैंने पास में ही बस स्टैंड को देखा तो वहां छतरपुर के लिए भी बस खुल रही थी और मेरे मन में खजुराहो जाने का विचार आया और मैंने छतरपुर के लिए टिकट खरीद लिया और थोड़ी देर में सागर से छतरपुर रवाना हो गया. यह बस सुबह में छतरपुर पहुंची और यहां से खजुराहो थोड़ी दूर पर स्थित है . छतरपुर से फिर थोड़ी देर में मैं खजुराहो पहुंच गया और यहां के मंदिरों को देखकर मन रोमांच से भर उठा . खजुराहो में ढेर सारे मंदिर हैं और इन मंदिरों को महोबा के चंदेलवंशी राजाओं ने आज से करीब एक हजार साल पहले बनवाया था.
खजुराहो के मंदिर प्रेम और श्रृंगार की सुंदर अभिव्यक्ति के रूप में देखे जाते हैं और इनमें काम और रति के सुंदर दृश्यों की मूर्तियों से मंदिर की दीवारों के भीतरी – बाहरी हिस्सों को अलंकृत किया गया है.खजुराहो के मंदिरों में कंदरिया महादेव मंदिर को सबसे सुंदर माना जाता है . इसके पास में ही लक्ष्मण मंदिर भी है और यह भी अपने स्थापत्य और अलंकरण में अद्भुत है. खजुराहो को मंदिरों की नगरी कहा जाता है और यहां कभी पचासी मंदिर हुआ करते थे लेकिन अब यहां केवल बाईस मंदिर ही शेष बचे हैं.
खजुराहो के मंदिरों का संस्थापक यशोवर्मन नामक राजा को माना जाता है और उसके बारे में ऐसी जनश्रुति है कि वह एक अविवाहित ब्राह्मण कन्या के गर्म से उत्पन्न हुआ था और जब वह राजा बना तो उसकी माता ने उससे ऐसे मंदिरों को बनवाने की कामना की जिनके अलंकरण में काम और रति के सुख और सुंदरता की अनुभूति यों का समावेश हो .केन नदी के तट पर खजुराहो में चंदेलवंश के राजाओं ने इन मंदिरों को अपने राजवंश के संस्थापक और उसकी माता की कामना के रूप में यहां बनवाया है.
इनमें श्रृंगार के स्थूल और सूक्ष्म रूपों की सुंदर अभिव्यक्ति हुई है.खजुराहो के मूर्ति शिल्प पर वात्स्यायन के कामसूत्र का गहरा प्रभाव सर्वत्र परिलक्षित होता है और इस प्रकार जीवन के सुंदर तत्व के रूप में काम और रति की अभिव्यंजना यहां के मंदिरों में हुई है और इन्हें देखने के लिए देश – विदेश से लाखों लोग यहां आते हैं.यहां एक संग्रहालय भी है और चंदेल राजाओं के द्वारा बनवाया गया एक सुंदर भव्य सरोवर भी है.
मैं गर्मी के मौसम में यहां आया था इसलिए इक्के दुक्के है लोग यहां दिखाई दे रहे थे लेकिन जाड़े के मौसम में यहां काफी चहल पहल रहती है. खजुराहो भारत के सुंदर पर्यटन स्थलों में एक माना जाता है और यहां सैलानियों के ठहरने के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं!
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »राजीव कुमार झाकवि एवं लेखकAddress »इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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