सामयिक विमर्श : जातिवाद, राजनीति और नारी
सामयिक विमर्श : जातिवाद, राजनीति और नारी, इस स्थिति में यौनाचार भी रिश्तों का एक पहलू बनता है और अंबेडकर ने उस ब्राह्मण महिला को पत्नी भी बनाया। कई बार यौनाकांक्षा को पूरा करना भी ऐसे लोगों का लक्ष्य होता है। ✍🏻 राजीव कुमार झा
उस समय मैं दसवीं में पढ़ता था जब बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी की हत्या हुई थी और इसमें पेशेवर कातिलों ने किसी नेता के इशारों पर उनके अमूल्य जीवन को खत्म कर दिया था। यह प्रेम और सेक्स से जुड़ा मामला ही था।
आज मीडिया में आये दिन साधारण तबकों के लोगों के ऐसे मामले सामने आते रहते हैं। इनकी ज्यादा चर्चा नहीं होती इसके बावजूद अपने प्रेमी के हाथों श्रद्धा की हत्या का मामला खूब चर्चित हुआ। उसका प्रेमी मुसलमान था।
प्रेम अगर जाति, धर्म और दूसरी दीवारों को तोड़ता हुआ भी दिखाई दे रहा है तो इस पहलू के नये संकट भी सामने आ रहे हैं। आज की बातें नयी नहीं हैं, काफी पहले से इनका प्रचलन है। किसी ने मुझे बताया तो मैंने भी बताया। अंबेडकर के संपर्क में वह ब्राह्मण महिला आयी होगी।
इस स्थिति में यौनाचार भी रिश्तों का एक पहलू बनता है और अंबेडकर ने उस ब्राह्मण महिला को पत्नी भी बनाया। कई बार यौनाकांक्षा को पूरा करना भी ऐसे लोगों का लक्ष्य होता है। अंबेडकर इससे ऊपर के इंसान थे। आज लोग काफी गिर चुके हैं। स्त्री के साथ ऐसे रिश्ते पुरुष के सामर्थ्य के अनुरूप ही फलते फूलते हैं। वह आत्मिक दैहिक आनंद को ही पाना चाहती है।
दिग्विजय सिंह ने एक युवक से उसकी पत्नी को छीनकर किसी शादी शुदा स्त्री से विवाह रचाया है। कुछ खास परिस्थितियों में उनके रिश्ते उस युवती से बने होंगे और उन्होंने उसे पराजित करके उसके देह मन पर अधिकार स्थापित कर लिया होगा। जिंदगी को कोई भी भूलभूलैया नहीं मानता है और इसमें हम सब शामिल हैं।
महानगरों में तो बेहद सहजता से अब विवाह पूर्व और विवाहेत्तर यौन संबंध प्रचलित हैं। इसी के साथ यौन रोग, अपराध, अलगाव, भटकाव और संस्कारों के पतन की समस्या भी यहां जटिल होती जा रही है।
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