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देहरादून के सुद्धोवाला क्षेत्र में टोंस नदी में हो रहे खनन को लेकर त्रिलोकपुरम कॉलोनी के निवासियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। लोगों का कहना है कि खनन की आड़ में नदी का प्रवाह मोड़ दिया गया है, जिससे कॉलोनी पर भविष्य में भारी आपदा का खतरा पैदा हो गया है।
- बेतहाशा खनन से टोंस नदी का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ा
- नदी का रुख कॉलोनी की ओर मोड़ने का आरोप, लोग सड़कों पर उतरे
- प्रशासनिक टीम की मौजूदगी में भी नियमों का उल्लंघन उजागर
- खनन न रुका तो उग्र आंदोलन की चेतावनी
देहरादून : सुद्धोवाला क्षेत्र में टोंस नदी पर चल रहे खनन कार्य ने एक बार फिर प्रशासनिक निगरानी और खनन नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वर्षाकाल के बाद खनन सामग्री के चुगान की अनुमति मिलने के बावजूद स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस अनुमति की आड़ में न केवल मानकों से अधिक खुदान किया जा रहा है, बल्कि नदी के प्राकृतिक प्रवाह से भी गंभीर छेड़छाड़ की जा रही है। त्रिलोकपुरम कॉलोनी के निवासियों का कहना है कि खनन के दौरान नदी का रुख जानबूझकर कॉलोनी की ओर मोड़ दिया गया है, जिससे आने वाले समय में जान-माल का बड़ा नुकसान हो सकता है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि इसी वर्ष मानसून के दौरान टोंस नदी में आई भीषण बाढ़ ने नंदा की चौकी स्थित पुल को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया था। उस दौरान एक खनन कार्य में लगी ट्रैक्टर-ट्रॉली भी नदी में बह गई थी और जनहानि की घटनाएं भी सामने आई थीं। तब भी स्थानीय निवासियों ने अवैध और अत्यधिक खनन को बाढ़ के विनाशकारी रूप लेने का प्रमुख कारण बताया था, लेकिन इसके बावजूद हालात में कोई ठोस सुधार नहीं हुआ। अब वर्षाकाल समाप्त होने के बाद जैसे ही खनन की अनुमति दी गई, नदी में बड़े पैमाने पर ट्रैक्टर-ट्रॉली, डंपर और जेसीबी मशीनें उतार दी गईं।
आरोप है कि स्वीकृत मानकों की अनदेखी कर नदी के बीच और किनारों पर अनियंत्रित खुदान किया जा रहा है। बुधवार को स्थिति उस समय तनावपूर्ण हो गई, जब त्रिलोकपुरम कॉलोनी के बड़ी संख्या में निवासी मौके पर पहुंचे और खनन कार्य को रुकवाने का प्रयास किया। लोगों का कहना है कि सिंचाई विभाग से अनुमति लेकर नदी के मध्य भाग में चैनलाइजेशन का कार्य किया जाना था, ताकि बाढ़ के दौरान जल प्रवाह नियंत्रित रहे। लेकिन वास्तविकता में मशीनों के जरिए नदी को एक ओर धकेल दिया गया, जिससे पूरा प्रवाह कॉलोनी की दिशा में हो गया है। इससे कॉलोनी के सैकड़ों घर सीधे खतरे की जद में आ गए हैं।
हंगामे की सूचना पर उपजिलाधिकारी विकासनगर, सिंचाई विभाग के अधिकारी, पुलिस चौकी झाझरा, ग्राम प्रधान और राजस्व उपनिरीक्षक मौके पर पहुंचे। स्थानीय लोगों का दावा है कि प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में भी यह स्पष्ट हुआ कि खनन कार्य स्वीकृति के अनुरूप नहीं किया जा रहा है। इसके बावजूद लोगों को संतोषजनक कार्रवाई का भरोसा नहीं मिल पाया। त्रिलोकपुरम विकास समिति की ओर से जिलाधिकारी देहरादून को ज्ञापन भेजकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई है। समिति के सचिव मनोज ध्यानी ने बताया कि इस वर्ष बाढ़ के दौरान नदी का पानी तटबंध के ऊपर से बहते हुए कॉलोनी के कई मकानों तक पहुंच गया था।
ऐसे हालात में नदी का प्रवाह बदलना भविष्य में बड़ी आपदा को न्योता देने जैसा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि समिति के पदाधिकारियों ने जेसीबी संचालकों और मौके पर मौजूद प्रतिनिधियों को नियमों के तहत कार्य करने को कहा, लेकिन इसके बावजूद नियमविरुद्ध खनन जारी रहा। कॉलोनीवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि जनहित और सुरक्षा को देखते हुए खनन एवं चैनलाइजेशन कार्य को तत्काल प्रभाव से रोका जाए। साथ ही चेतावनी दी गई है कि यदि समय रहते ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो त्रिलोकपुरम विकास समिति को उग्र आंदोलन का रास्ता अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।





