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उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित टिम्मरसैंण महादेव गुफा तक पहुंच सुगम बनाने के लिए 26.85 करोड़ रुपये की लागत से 1.5 किमी लंबा ट्रैक, पार्किंग और सुंदरीकरण का व्यापक कार्य शुरू हो चुका है। सरकार की योजना इस अनदेखे तीर्थ स्थल को पर्यटन और तीर्थाटन के बड़े सर्किट से जोड़ने की है।
- टिम्मरसैंण महादेव गुफा पहुंचेगी पर्यटकों की पहुंच में, 26.85 करोड़ की योजना शुरू
- नीती घाटी में पर्यटन को बढ़ावा, बाबा बर्फानी गुफा तक बनेगा नया ट्रेक
- शीतकालीन शिवलिंगों के लिए प्रसिद्ध गुफा अब बनेगी प्रमुख तीर्थ स्थल
- नीती से टिम्मरसैंण गुफा तक ट्रैक, पार्किंग और सुंदरीकरण का काम तेज
गोपेश्वर। चीन सीमा से लगे चमोली जिले की पौराणिक और आध्यात्मिक विरासत टिम्मरसैंण महादेव गुफा—जिसे बाबा बर्फानी गुफा के नाम से भी जाना जाता है—को अब पर्यटन और तीर्थाटन के नए सर्किट से जोड़ने की तैयारी जोर पकड़ चुकी है। नीती घाटी के गहन हिमाच्छादित क्षेत्र में स्थित इस पवित्र गुफा तक पहुंच लंबे समय से दिक्कतों से भरी रही है, लेकिन अब 26.85 करोड़ रुपये की लागत से ट्रैक, पार्किंग और सुंदरीकरण का एक बड़ा प्रोजेक्ट यहां आकार ले रहा है। पर्यटन विभाग का मानना है कि इस योजना के पूर्ण होने के बाद यह क्षेत्र उत्तराखंड की धार्मिक पर्यटन संभावनाओं का नया केंद्र बन सकता है।
परियोजना के तहत नीती गांव से टिम्मरसैंण गुफा तक लगभग 1.5 किलोमीटर लंबे ट्रैक का निर्माण जारी है। साथ ही 40 वाहनों की क्षमता वाली पार्किंग और मजबूत टिनशेड बनाने का काम भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। क्षेत्र में सौंदर्यीकरण का काम भी युद्धस्तर पर किया जा रहा है, ताकि भविष्य में यहां आने वाले श्रद्धालुओं और यात्रियों को सुविधाओं की कमी ना झेलनी पड़े। अधिकारियों के अनुसार, यह पूरा ढांचा आने वाले समय में इस कठिन इलाके को एक सुरक्षित और सुलभ धार्मिक गंतव्य के रूप में विकसित करने में मदद करेगा।
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टिम्मरसैंण गुफा की महत्ता केवल धार्मिक मान्यताओं में ही नहीं, बल्कि इसके प्राकृतिक चमत्कारों में भी छिपी है। यहां शीतकाल में फरवरी से अप्रैल के बीच बर्फ के पांच से सात शिवलिंग स्वाभाविक रूप से निर्मित होते हैं, जिनके दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग इस कठिन इलाके की पैदल यात्रा करते हैं। स्थानीय मान्यता है कि इसी गुफा में भगवान शिव ने तपस्या की थी। 50 मीटर लंबी इस गुफा में शिवलिंग के ऊपर लगातार जल बूंदों का गिरना इसे और भी रहस्यमय और दिव्य अनुभव प्रदान करता है।
देश के प्रथम गांव नीती से गुफा तक पैदल पहुंचना अब तक एक कठिन चुनौती रहा है। शीतकाल में ग्रामीण क्षेत्रों का रिक्त होना, सेना और बीआरओ की सीमित मौजूदगी, तथा यात्रा के लिए संरचित मार्ग का अभाव—ये सभी कारण इस पवित्र स्थल को व्यापक धार्मिक मानचित्र से दूर रखते रहे। स्थानीय लोग पीढ़ियों से यहां पूजा-अर्चना करते आए हैं, लेकिन देश-विदेश के श्रद्धालुओं की पहुंच अभी भी बहुत सीमित है।
ज्योतिर्मठ के पूर्व प्रमुख प्रकाश रावत बताते हैं कि यदि सरकार ज्योतिर्मठ-नीती हाईवे को बारहों महीने सुचारु रखे, तो फरवरी से अप्रैल तक बाबा बर्फानी यात्रा को औपचारिक रूप से शुरू किया जा सकता है। इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को नया संबल मिलेगा, बल्कि क्षेत्र में रोजगार सृजन और पर्यटन गतिविधियों को भी व्यापक गति मिलेगी। वे बताते हैं कि यह गुफा अपनी विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों और धार्मिक महत्ता के कारण विश्व स्तर का तीर्थ स्थल बनने की क्षमता रखती है।
जिला पर्यटन अधिकारी अरविंद गौड़ ने बताया कि विभाग ने गुफा क्षेत्र के विकास के लिए व्यापक कार्ययोजना तैयार की है, जिसके तहत ट्रैक, पार्किंग, सुंदरीकरण और अन्य सहायक सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है। उनका कहना है कि परियोजना पूर्ण होने के बाद श्रद्धालुओं को यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होगी और टिम्मरसैंण गुफा उत्तराखंड के महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित हो सकेगी।
परियोजना पूर्ण होने के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि नीती घाटी की कठिन परिस्थितियों में बसे इस रहस्यमयी गुफा स्थल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय धार्मिक पर्यटन की मुख्यधारा में लाया जा सकेगा, जिससे स्थानीय जनजीवन और अर्थव्यवस्था दोनों को दीर्घकालिक लाभ मिलेगा।





