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तीन साल की मासूम को समय ने किया बेसहारा

हल्द्वानी। बनभूलपुरा की तीन साल की एक मासूम को समय ने बेसहारा कर दिया। मां का कुछ दिन पहले निधन हो गया था, इसके बाद चंद रोज पहले पुलिस ने पिता को गिरफ्तार कर जेल पहुंचा दिया। छह दिन तक पड़ोसियों ने बच्ची की देखभाल की। बुधवार को उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट को इसकी जानकारी दी तो उनके हस्तक्षेप के बाद बच्ची को सामाजिक संस्था का संरक्षण मिल सका।

बनभूलपुरा में यह बच्ची अपने माता-पिता के साये में रह रही थी। कुछ दिन पहले बीमार मां का साया उससे उठ गया। तब से घर पर पिता और बच्ची ही थी। मादक पदार्थ रखने के आरोप में पिता को छह दिन पहले पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। तब से वह जेल में है। पिता के सलाखों के पीछे पहुंचने के बाद से बिटिया घर पर अकेली रह गई। पहले दिन तो पड़ोसियों को भी पता नहीं चला कि उसका पिता कहां गया। उस दिन वह पिता के आने पर टकटकी लगाए रहे। अगले दिन उसके जेल जाने की खबर मिली तो उन्होंने मिल-जुलकर बच्ची की देखभाल शुरू की। छह दिन में कभी किसी पड़ोसी तो कभी दूसरे के घर में उसके दिन-रात बीते।

बुधवार को किसी ने इन पड़ोसियों को आगाह किया कि वह पुलिस-प्रशासन को सूचित किए बिना बच्ची को अपने पास नहीं रख सकते। तब कुछ महिलाएं मासूम को लेकर सिटी मजिस्ट्रेट एपी बाजपेयी के दफ्तर पहुंची। उन्होंने मामले की जानकारी जिला प्रोबेशन अधिकारी वर्षा सोनी को दी। उन्होंने चाइल्डलाइन की टीम को भेजकर बच्ची को अपने संरक्षण में लिया। बाद में उसे जिला बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया। समिति ने आदेश पारित कर मासूम के पालन पोषण का जिम्मा सामाजिक संस्था वीरांगना को सौंप दिया। अब यह बच्ची इसी संस्था की सदस्यों के संरक्षण में है।

वीरांगना संस्था संचालित करने वाली गुंजन अरोरा से बच्ची इस तरह घुल-मिल गई है कि वह उन्हें बुआ कहकर पुकारने लगी है। यही नहीं, बच्ची गुंजन के पति को पापा कहकर संबोधित कर रही है। नियम है कि किसी भी आरोप में किसी व्यक्ति की गिरफ्तार की सूचना उसके परिवार वालों को दी जाएगी। यदि परिजनों पर फोन नहीं है तो घर जाकर पुलिसकर्मियों को बताना होगा। इस नियम का पालन करते हुए पुलिस ने अगर सूचना देने के लिए परिजनों के बारे में पूछा होता तो पता चल गया होता कि घर पर बेटी अकेली है और वह भी तीन साल की।


सिटी मजिस्ट्रेट के निर्देश के बाद बच्ची को जिला बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया। समिति ने बच्ची को पालन पोषण के लिए सामाजिक संस्था को सौंप दिया है। चूंकि बच्ची का पिता जीवित है, इसलिए उसे अनाथालय भी नहीं भेजा जा सकता था। बच्ची पूरी तरह सुरक्षित हैं।
-वर्षा सोनी, जिला प्रोबेशन अधिकारी, नैनीताल


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