समय, सेहत और संबंध
सुनील कुमार माथुर
कहते है कि समय , सेहत और संबंध इन तीनों पर कीमत का कोई लेबल नहीं लगा होता हैं लेकिन जब हम इन्हें खो देते हैं तब इनकी कीमत का अहसास होता हैं । कहने का तात्पर्य यह है कि इन तीनों का जीवन में कितना महत्वपूर्ण स्थान हैं यह बात एक अनुभवी व्यक्ति ही जानता हैं । अतः इन संबंधों की महता को समझे और इन संबंधों को बनाये रखें ।
याद रखिये गया समय कभी भी लौट कर वापस नहीं आता हैं इसलिए समय खो बर्बाद न करे और हर पल का उपयोग करते हुए आनंद लीजिए । हर क्षण महत्वपूर्ण हैं । जिस तरह जल की बूंद की कीमत एक प्यासा व्यक्ति ही जानता हैं ठीक उसी प्रकार समय की कीमत वही जानता हैं जिसने समय को पहले खो दिया और बाद में पछताया ।
इसी प्रकार सेहत का ख्याल रखना हमारा अपना धर्म हैं । हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति तनिक भी लापहरवाही नहीं बरतनी चाहिए । सेहत ठीक हैं तो सब ठीक हैं । अतः सेहत को बनाये रखें अन्यथा दुःख आपकों ही भुगतना होगा । इसी प्रकार संबंधों को हमेशा बनाये रखें । संबंधों की मिठास का जीवन में होना नितान्त आवश्यक है । जहां संबंधों में खटास आई नहीं कि वही रिश्ते व संबंध कांच की तरह बिखर जाते हैं और फिर वो जोडना चाहें तो भी नहीं जुडते हैं और येन केन प्रकारेण जुड भी गये तो उनमें दरार अवश्य नजर आयेगी ।
कहने का तात्पर्य यह है कि समय , सेहत और संबंध इन तीनों को बनाये रखना ही हमारे सफल जीवन जीने की निशानी है । किसी महापुरुष ने बहुत ही सुन्दर बात कहीं हैं कि परेशानी का कोई पैमाना नहीं होता हैं । कोई लोग तो यह सोचकर ही परेशान रहते हैं कि ये सामने वाला इतना खुश क्यों हैं ?
लोग जीवन में अंहकार के कारण बहुत कुछ पाने से वंचित रह जाते हैं । वे यह भूल जाते हैं कि मधुर संबंध ही हमारा सबसे बडा धन हैं और दुनियां का हर वो इंसान धनवान है जिसके चेहरे पर मधुर मुस्कान के साथ प्रभु का नाम हैं । हम जो कुछ भी हैं और जिस पद पर हैं और जो कुछ भी नेक व रचनात्मक कार्य कर रहें है वो सब प्रभु की कृपा से ही कर रहें है अन्यथा हमारी क्या औकात की हम किसी भूखे को भोजन करा सकें । हमारे पास जो कुछ भी हैं वो उस परमात्मा का ही दिया हुआ हैं और हम तो निमित मात्र हैं ।
जीवन में संवरना ही हैं तो किसी की नजरों में संवरिए आईने के सामने क्या संवारना । कहते हैं कि जिसका मन मस्त हैं उसके पास समस्त हैं । अतः जीवन में अच्छी सोच रखें । सभी के साथ समान व्यवहार करे और मधुर संबंध बनायें रखें कोई भी व्यक्ति छोटा – बडा नहीं होता हैं अपितु सबका अपना – अपना महत्व है । अतः किसी को भी अपने से छोटा न समझें । न जाने कब किसकी जरूरत पड जायें । सुख – दुःख तो अतिथि हैं । बारी – बारी से आयेंगे और चले भी जायेंगे । यदि वे न आये तो हम अनुभव कहां से लायेगे।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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