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युवक जा रहा था घर, जीआरपी सिपाहियों ने चलती ट्रेन से फेंका

मामला खौफनाक भी है और अराजकता से भरा हुआ भी। क्योंकि अगर आप भी मामले को पढ़ेंगे और समझेंगे तो स्वयं कहेंगे कि ‘‘जमाना खराब है’’। एक युवक दिवाली मनाने के लिए मुंबई से झारखंड लौट रहा था।

प्रयागराज। मुंबई में रहकर काम करन वाला युवक अरुण दिवाली का त्योहार परिवार के मनाने के लिए झारखंड लौट रहा था। 19 तारीख वो अपने दो दोस्त अर्जुन भुइया और हरि के साथ मुम्बई हावड़ा मेल में सवार हुआ। अरुण के दोस्त अर्जुन के मुताबिक जब हम तीनों स्टेशन पहुंचे तो ट्रेन चलने लगी। ट्रेन छूटने के डर से हम लोग बिना टिकट के ही चढ़ गए। फिर जब थोड़ी देर बाद टीटी आया तो उससे टिकट बनवा लिया था, इसके बाद सभी यात्री तनाव से मुक्त हो गये।

इस घटना का वर्णन करते हुये अर्जुन ने आगे बताया कि ट्रेन जब 20 अक्टूबर को छिवकी स्टेशन पहुंची। फिर जब ट्रेन चलने लगी तो थोड़ी देर बाद जीआरपी के दो सिपाही कृष्ण कुमार और आलोक हमारी बोगी में आये। उन सिपाहियों ने हमसे टिकट दिखाने की बात की तो हमने उन्हें टिकट दिखाया और टीटी द्वारा टिकट दिए जाने की बात भी बताई। वे इस बात को नहीं माने और हमसे धक्का-मुक्की करने लगे।

अर्जुन ने बताया कि दोनों सिपाही पैसों की मांग कर रहे थे और मांग पूरी न होने पर हमसे मारपीट करने लगे। हमारे द्वारा उनको 200 रुपए दिए गये, लेकिन उनकी धक्का-मुक्की और मारपीट रूकने का नाम नहीं ली। इसी दौरान सिपाहियों ने अरुण को चलती गाड़ी से नीचे फेंक दिया। अरुण को गाड़ी से नीचे फेंकने के बाद चेन पुलिंग की गई।

अर्जुन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जब तक ट्रेन रुकती तब तक बहुत आगे निकल चुकी थी। गाड़ी रुकने पर उन लोगों के द्वारा जीआरपी पुलिस सूचना दी गयी। पुलिस जब घटना स्थल पर पहुंची तो छानबीन के चलते देर रात पटरियों पर अरुण की खून से लथपथ लाश पड़ी हुई थी। उसके सिर से खून निकल रहा था. शरीर के दूसरे अंगों पर भी गंभीर चोट थीं।

बहरहाल, पुलिस ने दोस्तों के द्वारा लिखित शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की। पुलिस ने दोनों आरोपी सिपाही कृष्ण कुमार और आलोक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की थी। दोनों को वाराणसी कोर्ट ने जेल भेज दिया है। वहीं, जीआरपी एसपी सिद्दार्थ मीना ने दोनों सिपाहियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया।

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