बाघिन को अब पूरा जीवन पेट में धंसे तार के साथ जीना होगा
बाघिन को अब पूरा जीवन पेट में धंसे तार के साथ जीना होगा, रेस्क्यू सेंटर में ही बाघिन ने जुलाई माह में तीन शावकों को जन्म दिया था। लेकिन जन्म देने के बाद पांचवें दिन ही बाघिन ने खुद तीनों शावकों को निवाला बना लिया था। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के इतिहास में इस तरह की दुर्लभ घटना पहली बार दर्ज की गई थी।
देहरादून। विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की कालागढ़ रेंज में शिकारियों के फंदे में फंसी बाघिन को अब ताउम्र शरीर में धंस चुके तार (स्नेयर) के साथ ही जीना होगा। विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों के पैनल ने जांच के बाद सर्जरी से बाघिन के जीवन को खतरा बताया है। इस संबंध में चिकित्सकों के पैनल ने अपनी रिपोर्ट मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक कार्यालय को सौंप दी है।
नैनीताल के रामनगर में स्थित कॉर्बेट टाइगर रिजर्व दुनिया में बाघों के स्वच्छंद विचरण के लिए जाना जाता है। बीते मई माह में एक बाघिन के शिकारियों के चंगुल में फंसने की बात सामने आने के बाद वन महकमे में हड़कंप मच गया था। बाघिन पेट में धंसे फंदे के साथ कैमरे में कैद हुई थी।
इसके बाद कॉर्बेट प्रशासन बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू सेंटर लाया, जहां वह अब तक चिकित्सकों की निगरानी में है। बाघिन के पेट में धंसे तार को निकालने के लिए वन विभाग की ओर से विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों का पैनल बनाया गया था।
इसमें भारतीय वन्यजीव संस्थान के पूर्व वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. प्रदीप मलिक, जीबी पंत विवि के डिपार्टमेंट ऑफ सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. केके दास, भारतीय वन्यजीव संस्थान के डिपार्टमेंट ऑफ वाइल्डलाइफ हेल्थ मैनेजमेंट के एचओडी डॉ. पराग निगम और एनटीसीए की समिति के सदस्य डॉ. मलिक को शामिल किया गया था।
पैनल ने बाघिन के स्वास्थ्य की कई दिनों तक निग रानी की। कई तरह की जांचों के बाद चिकित्सकों के पैनल ने पाया कि तार (स्नेयर) बाघिन के पेट में भीतर तक धंस चुका है। यदि उसे निकालने के लिए सर्जरी की जाती है तो बाघिन के जीवन को खतरा हो सकता है। इस संबंध में पैनल ने सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू कार्यालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। संभव है कि अब पूरा जीवन बाघिन को ऐसे ही जीना होगा।
कॉर्बेट के निदेशक डॉ. धीरज पांडेय ने बताया कि बाघिन को चिकित्सकों की देखरेख में ढेला स्थित रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है। बाघिन की उम्र करीब सात से आठ वर्ष है। बाघिन को अपने प्राकृतिक वास में छोड़ा जाएगा या नहीं, इस संबंध में उच्च स्तर पर फैसला लिया जाएगा।
रेस्क्यू सेंटर में ही बाघिन ने जुलाई माह में तीन शावकों को जन्म दिया था। लेकिन जन्म देने के बाद पांचवें दिन ही बाघिन ने खुद तीनों शावकों को निवाला बना लिया था। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के इतिहास में इस तरह की दुर्लभ घटना पहली बार दर्ज की गई थी।
बाघिन की सर्जरी के संबंध में देश के नामी पशु चिकित्सकों का एक पैनल गठित किया गया था। चिकित्सकों की रिपोर्ट मुख्यालय को मिल गई है। इसके अनुसार फिलहाल बाघिन की सर्जरी करने पर उसके जीवन को खतरा बताया गया है। बाघिन को रेस्क्यू सेंटर से जंगल में कब छोड़ा जाएगा, इस संबंध में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। वैसे बाघिन पूरी तरह स्वस्थ है और सामान्य जीवन जी रही है।
– डॉ. समीर सिन्हा, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, उत्तराखंड वन विभाग
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