आपके विचार

सफलता का राज

सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान

परिवार हो या संगठन हो या समाज सभी की सफलता का एक ही राज हैं कि एक दूसरे के विचारों को धैर्य से सुनना, समझना और उन विचारों का सम्मान व स्वागत करना। जहां अपनी-अपनी डफली अपना अपना राग हो वह परिवार, संगठन व समाज कभी भी प्रगति नहीं कर सकता। सफलना पाने के लिए एकजुट होकर कार्य करना शुभ होता है अतः विचारों को मान सम्मान तभी मिलता हैं जब वे तर्क संगत हो। केवल अनाप-शनाप बोल देना ही पर्याप्त नहीं है। इसलिए जब भी बातचीत हो तब जरूरत के मुताबिक ही नपे तुले बोल ही बोलें। अनावश्यक बोलकर अपना व दूसरों का न तो समय बर्बाद करें और न ही हंसी के पात्र बनें।

प्रेम का अर्थ – समाज की प्रगति, उन्नति, विकास व उत्थान तभी हो पाता हैं जब समाज के लोगों में आपसी प्रेम और स्नेह हो। इसके अभाव में हम प्रगतिशील नहीं बन सकते। जहां प्रेम हैं, वहीं तो अपनापन है, वरना इस जीवन में दुःख ही दुःख हैं। प्रेम का मतलब शरीर या रूप का आकर्षण नहीं होता है अपितु सम्मान, आदर सत्कार, विश्वास और भरोसा भी होता हैं। इसलिए कभी भी किसी का न तो भरोसा तोड़े और न ही किसी से कठोर वचन बोले। आपका व्यवहार स्नेह भरा होना चाहिए ताकि मेल मुलाकात से ही हृदय गद् गद् हो जाये और एक ही मुलाकात हो लेकिन ऐसी हो कि वर्षो तक उसकी याद ताजा बनी रहे एवं हर पल ऐसा लगे मानों कल की ही बात हो।

बेहतर दवा – मन का बोझ हल्का करने के लिए दोस्त से बेहतर कोई दवा नहीं है। जो बात हम अपने परिजनों को आसानी से नहीं बता सकते हैं वहीं बात हम अपने मित्र को बड़ी आसानी से निसंकोच होकर बता देते हैं अतः मित्र का भी दायित्व बनता है कि वह उस बात का अनावश्यक प्रचार न करे और मित्र किसी संकट में है तो उसे उस संकट से निकालने का प्रयास करें और किसी प्रकार की मदद की जरूरत है तो उसकी मदद कर उसके मन का बोझ समाप्त करें। सच्चा मित्र वहीं होता है जो संकट की घड़ी में भी पहली पंक्ति में खड़े रहकर दुःख सुख में साथ निभायें।

आनन्द लीजिए – परमात्मा ने हमें यह मानव जीवन उपहार में दिया हैं तो फिर इसका जमकर आनंद लीजिए। चूंकि यह जीवन पानी के बुलबुले के समान है जो न जानें कब फट जाए। अतः जीवन का भरपूर आनंद ले जो हमारे पास नहीं है उसकी चिंता कर कर के आज के आनंद को भी खराब मत कीजिए। अरे पुष्प को देखिए रोज खिलता है, मुरझाता हैं और अंत में बिखर जाता हैं लेकिन दूसरे ही दिन वह फिर नये उत्साह व उमंग के साथ खिलकर अपनी खुशबू से सभी को आनंदित करता हैं ।

किसी ने बहुत ही सुन्दर बात कही है कि चार दिन की जिन्दगी हैं। हंसी खुशी से काट लें। मत किसी का दिल दुखा अपितु दर्द सबके बांट लें। कुछ भी नहीं है साथ में जाना बस एक नेकी के सिवाय। कर भला तो हो भला, बस गांठ में यह बात तू बांध लें। जीवन में बस क्षमाशील बनकर हंसी-खुशी की जिंदगी जी लें। चूंकि क्षमा करने जो जीवन में जो शांति मिलती है वह अन्यत्र मिलना मुश्किल है।


Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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