उत्तराखण्ड समाचार

भूमाफियाओं की बढ़ती मनमानी के आगे नगर निगम पड़ा सुस्त

भूमाफियाओं की बढ़ती मनमानी के आगे नगर निगम पड़ा सुस्त, सूत्रों की मानें तो पार्षद ने भी अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई का विरोध किया। साथ ही कुछ राजनीतिक व्यक्तियों के दबाव में निगम की टीम मौके पर अधूरी कार्रवाई कर लौट आई। दौड़वाला में राजनीतिक व्यक्तियों पर सरकारी जमीन खुर्द-बुर्द करने के आरोप हैं। 

देहरादून। दून में सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने को लेकर शासन-प्रशासन कड़ी कार्रवाई का दावा कर रहे हैं, लेकिन नगर निगम सुस्त नजर आ रहा है। बीते दो माह में शहर के विभिन्न क्षेत्रों में निगम की भूमि कब्जे की जद में पाई गई और नगर निगम ने कई क्षेत्रों में नोटिस भी दिए, लेकिन कार्रवाई इससे आगे नहीं बढ़ पाई।

कुआंवाला क्षेत्र में चिह्नित अतिक्रमणकारी नोटिस मिलने के बाद कोर्ट की शरण में चले गए। इधर, दौड़वाला-मोथरोवाला क्षेत्र में नोटिस मिलने के बाद अतिक्रमणकारियों ने दस्तावेज दिखाने के लिए समय मांग लिया। हालांकि, इस बीच नगर निगम की टीम अवैध निर्माण ध्वस्त करने भी गई, लेकिन खाली हाथ लौट आई।

राजनीतिक दबाव के कारण कार्रवाई न कर पाने के आरोप भी निगम पर लग रहे हैं।नगर निगम की सरकारी जमीन कब्जाने और खरीदने-बेचने का धंधा खूब चल रहा है। कहीं भूमाफिया नगर निगम में शामिल ग्राम समाज की जमीनों पर कब्जा रहे हैं तो कहीं नदी-नालों के किनारे अवैध निर्माण किए जा रहे हैं। हालांकि, ज्यादातर क्षेत्रों में राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले लोग जमीनें खुर्द-बुर्द करने में जुटे हैं।

दौड़वाला का ही उदाहरण ले लें तो यहां एक नेता ने निजी जमीन की आड़ में सरकारी भूमि पर कब्जाकर प्लाटिंग कर दी। नेता की दबंगई के आगे नगर निगम जानकर भी कार्रवाई से बच रहा है। वहीं, मोथरोवाला और दौड़वाला के बीच एक और नेता ने निगम की जमीन पर कब्जा कर प्लाटिंग की है।

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दौड़वाला, नौका, इंद्रपुरी फार्म, डकोटा समेत आसपास के क्षेत्र में सैकड़ों बीघा सरकारी भूमि खुर्द-बुर्द हो रही है।सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण को लेकर लगातार कार्रवाई जारी है। निगम विभिन्न क्षेत्रों अपनी भूमि की पैमाइश कर रहा है। अतिक्रमण चिह्नित होने पर नोटिस जारी किए जा रहे हैं। पट्टे की जमीनों पर कई सालों से बसे परिवारों को लेकर अभी विचार किया जा रहा है। हालांकि, बीते कुछ वर्षों में हुए अतिक्रमण को सख्ती से हटाया जाएगा।



वर्षाकाल में कार्रवाई नहीं की जा सकी, लेकिन जल्द ही अभियान तेज कर दिया जाएगा। सुनील उनियाल गामा, महापौर धर्मपुर विधायक चमोली ने भी उठाए सवालधर्मपुर विधायक विनोद चमोली ने भी अतिक्रमण के विरुद्ध ठोस कार्रवाई न होने पर कई बार नाराजगी व्यक्ति करते हुए नगर निगम से लेकर शासन को भी पत्र लिखा है।



जिसमें उन्होंने कहा कि 20-25 साल से पट्टे की जमीनों पर बसे व्यक्तियों को नोटिस दिए जा रहे हैं, लेकिन नए अतिक्रमण पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। जबकि, भूमाफिया लगातार सरकारी भूमि को खुर्द-बुर्द कर रहे हैं। उन्होंने एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित कर भूमाफिया पर नकेल कसने और दोषी अधिकारी-कर्मचारियों को दंडित करने की मांग की है।



जुलाई अंत में नगर निगम की टीम ने कुआंवाला क्षेत्र में सरकारी भूमि की पैमाइश की, जिसमें करीब छह एकड़ भूमि में अतिक्रमण मिला। क्षेत्र में 0.75 हेक्टेयर भूमि में 10 अतिक्रमणकारी चिह्नित किए गए। नगर निगम ने अतिक्रमणकारियों को सात दिन के भीतर स्वतः भूमि खाली करने का नोटिस दिया।



अब अतिक्रमण के विरुद्ध निगम कोई कार्रवाई करता कि संबंधित व्यक्ति हाईकोर्ट में चले गए। जहां सुनवाई और निर्णय आने के बाद ही निगम अग्रिम कार्रवाई कर सकेगा। मोथरोवाला-दौड़वाला नौका क्षेत्र में नगर निगम की जमीन अतिक्रमण की भेंट चढ़ गई हैं। बीते शुक्रवार को निगम की टीम ने पुलिस बल के साथ यहां सात अवैध मकान ध्वस्त किए, कई मकानों पर राजनीतिक दबाव में कार्रवाई नहीं की गई।



नगर निगम की ओर से कुछ महीने पहले पुराने चिहि्नत अतिक्रमण पर पर नोटिस जारी किए थे, लेकिन जब निगम कार्रवाई करने पहुंचा तो क्षेत्र में नए अवैध मकान खड़े हो गए। नगर निगम की टीम ने नए निर्माण तो तोड़ दिए, लेकिन जिन्हें नोटिस जारी किए गए थे, उनके निर्माण नहीं तोड़े गए।



सूत्रों की मानें तो पार्षद ने भी अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई का विरोध किया। साथ ही कुछ राजनीतिक व्यक्तियों के दबाव में निगम की टीम मौके पर अधूरी कार्रवाई कर लौट आई। दौड़वाला में राजनीतिक व्यक्तियों पर सरकारी जमीन खुर्द-बुर्द करने के आरोप हैं। आरोप है कि एक नेता ने निजी जमीन की आड़ में सरकारी जमीन कब्जाकर प्लाटिंग कर दी। नेता की दबंगई के आगे नगर निगम जानकर भी कार्रवाई से बच रहा है।



वहीं, मोथरोवाला और दौड़वाला के बीच एक और नेता ने सरकारी भूमि पर कब्जा कर प्लाटिंग की है, लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण निगम प्रशासन बैकफुट पर है। यहां आरोप हैं कि नगर निगम की भूमि पर दो-तीन लाख रुपये में प्लाट बेचे जा रहे हैं और दुकान व कमरे तैयार कर किराये पर भी चढ़ाए जा रहे हैं।


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भूमाफियाओं की बढ़ती मनमानी के आगे नगर निगम पड़ा सुस्त, सूत्रों की मानें तो पार्षद ने भी अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई का विरोध किया। साथ ही कुछ राजनीतिक व्यक्तियों के दबाव में निगम की टीम मौके पर अधूरी कार्रवाई कर लौट आई। दौड़वाला में राजनीतिक व्यक्तियों पर सरकारी जमीन खुर्द-बुर्द करने के आरोप हैं। 

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