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उत्तराखण्ड समाचार

बढ़ते जा रहे हैं प्राकृतिक आपदाओं के आंकड़े

हरिद्वार। दुनिया में हर साल प्राकृतिक आपदाओं के आंकडे बेहद बढ़ते जा रहे है, इसी के दृष्टिगत विश्वभर में 13 अक्टूबर, को ‘‘अन्तर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस‘‘ मनाया जाता है। जिला हरिद्वार में जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण की ओर से पूरे जिले में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

आपदा के दौरान एवं आपदा के बाद निपटने के गुर सिखाये गये…

इस साल अन्तर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस‘‘ आपदा जोखिम और आपदा से होने वाले नुकसान को कम करने एवं विकासशील देशों के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग के विषय पर आधारित हैं। यह सेंण्डई फ्रेमवर्क का छठा उददेश्य है। आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण, राज्य आपदा मोचन बल (एस0डी0आर0एफ0) एवं शांन्ति कुंज हरिद्वार के सहयोग से जवाहर नवोदय विद्यालय रोशनाबाद में अन्तर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विद्यार्थियो एवं अध्यापकों को विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं में ‘‘क्या करे, क्या ना करें ‘‘ तथा आपदा से पूर्व आपदा के दौरान एवं आपदा के बाद निपटने के गुर सिखाये गये।

कार्यक्रम के अंतर्गत समस्त तहसीलों में भी अन्तर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस मनाया गया, जिसमें सहयोग इण्डिया फाउण्डेशन, रुडकी द्वारा राजकीय इण्टर कॉलेज रुडकी, आदर्श सेवा संस्थान द्वारा किसान विद्यालय इण्टर कॉलेज लक्सर एवं तहसील भगवानपुर में आस्था सेवा संस्थान द्वारा बी0डी0 इण्टर कॉलेज भगवानपुर में, राजकीय कन्या इण्टर कॉलेज ज्वालापुर में रामराज ग्रामोद्योग सेवा संस्थान के द्वारा आपदा प्रबन्धन विषय स्लाईड शो के माध्यम से जन-जागरुकता/प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में एस0डी0आर0एफ0 से प्रशिक्षित मुख्य प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।

आपदा प्रबन्धन अधिकारी हरिद्वार श्रीमती मीरा कैन्तुरा ने बताया कि वर्ष 1989 में शुरु हुआ अन्तर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस को 21 दिसम्बर, 2009 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अक्टूबर के दूसरे बुद्ववार को प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण दिवस के रुप में मनाये जाने का निर्णय लिया गया तथा संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आधिकारिक तौर पर दिनांक 13 अक्टूबर को अन्तर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस के रुप में मनाये जाने हेतु उक्त दिनांक को द्योषित किया गया।



इसी क्रम में प्रत्येक वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस विश्व भर में मनाया जाता हैं। इसका उदेश्य आमजनमास में जन-जागरुकता का प्रचार-प्रसार करना तथा प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रोत्साहित करना हैं। जनपद/तहसील स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों में लगभग 350 विद्यार्थी/अध्यापकों, आपदा प्रबन्धन टीम, शांन्ति कुंज, एस0डी0आर0एफ0 एवं स्वयंसेवी संस्थाओ के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

सेंण्डई फ्रेमवर्क का अभियान वर्ष 2016 में यू0एन0डी0आर0आर0 ने शुरु किया था, जिसमें आपदाओं से निपटने यानी आपदाओं के नुकसान को कम करने के लिए 7 लक्ष्यों का फ्रेम वर्क तैयार किया गया, जिसमें आपदा के नुकसान को कम करने के साथ प्रभावित स्थान के कार्यो को मापने के लिए भी संकेतक तैयार किये गये, जिसमें शासन-प्रशासन, स्थानीय निकाय, सामाजिक समूहों नागरिक समाज संगठनों निजी क्षेत्र अन्तर्राष्टीय संगठनों सहित सभी क्षेत्र एकजुट होकर कार्य करते हैं।

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