
🌟🌟🌟
देव सूर्य मंदिर बिहार का सबसे प्रसिद्ध सूर्य मंदिर है, जिसे देवार्क सूर्य मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह देश का एकमात्र ऐसा सूर्य मंदिर है जिसका दरवाजा पश्चिम की ओर है। इसका निर्माण स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में किया था।
सत्येन्द्र कुमार पाठक
भारत का वह क्षेत्र जो प्राचीन काल में शाकद्वीप का हिस्सा माना जाता था, सनातन धर्म के सौर संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। यहाँ के विभिन्न जिलों में ऐसे कई सूर्य मंदिर (Sun Temples) और सूर्यकुंड (Sun Ponds) स्थित हैं जो न केवल ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि छठ महापर्व के दौरान सूर्योपासना के मुख्य केंद्र बन जाते हैं। यह पर्व सूर्य देवता के प्रति अटूट आस्था और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है, और इन पवित्र स्थलों पर छठ के समय लाखों श्रद्धालुओं का जमावड़ा होता है। बिहार के विभिन्न जिलों में कई ऐसे सूर्य मंदिर हैं जिनकी अपनी विशिष्ट पौराणिक कथाएँ, वास्तुकला और धार्मिक मान्यताएँ हैं।
Government Advertisement
औरंगाबाद: देव सूर्य मंदिर (देवार्क सूर्य मंदिर): देव सूर्य मंदिर बिहार का सबसे प्रसिद्ध सूर्य मंदिर है, जिसे देवार्क सूर्य मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह देश का एकमात्र ऐसा सूर्य मंदिर है जिसका दरवाजा पश्चिम की ओर है। इसका निर्माण स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में किया था। मंदिर के पास स्थित सूर्यकुंड छठ पूजा का मुख्य केंद्र है, जहाँ लाखों श्रद्धालु अर्घ्य देने आते हैं। उमगा पर्वत पर स्थित सूर्य मंदिर पूर्वाभिमुख है, और देवकुंड में भी एक सूर्यकुंड है। पटना जिले के दुल्हिनबाजार प्रखंड में स्थित उलार सूर्य मंदिर देश के 12 प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में से एक माना जाता है। यह मंदिर काले पत्थर से निर्मित है और अपनी पौराणिकता और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए विख्यात है। पंडारक में पुण्यार्क सूर्यमंदिर है। नालंदा जिले में दो प्रमुख सूर्य मंदिर हैं।
- औंगारी सूर्य मंदिर: इस मंदिर के प्रांगण में स्थित सूर्यकुंड को त्वचा रोगों से मुक्ति का सर्वोत्तम साधन माना जाता है। छठ पर्व के दौरान यहाँ बड़ी भीड़ रहती है।
- बड़गांव सूर्य मंदिर: यह अपनी प्राचीनता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।
- गया: दक्षिणायन सूर्य मंदिर: यह गया शहर में विष्णुपद मंदिर से उत्तर और सूर्यकुंड से पश्चिम में स्थित है। यहाँ की सूर्य प्रतिमा सतयुग कालीन मानी जाती है। फल्गु नदी के किनारे विरंचि नारायण सूर्य मंदिर के गर्भगृह में भगवान सूर्य मूर्ति है।
- सूर्यकुंड: मंदिर में बने कुंड की मान्यता बहुत अधिक है, और छठ के मौके पर यहाँ मेला लगता है।
- जहानाबाद: काको और दक्षिणी सूर्य मंदिर: काको सूर्य मंदिर (काको पनिहास) एक विख्यात और प्राचीन केंद्र है। मंदिर के समीप एक विशाल पनिहास (तालाब) है, जहाँ छठ पूजा के लिए हजारों श्रद्धालु अर्घ्य देते हैं। यहाँ भगवान विष्णु की प्राचीन मूर्ति भी स्थापित है। दक्षिणी सूर्य मंदिर: जहानाबाद प्रखंड क्षेत्र के दक्षिणी में स्थित यह मंदिर मनोकामनाएँ पूरी होने की मान्यता के लिए प्रसिद्ध है।
- सूर्यान्क गिरि: बराबर पर्वत समूह क्षेत्र में स्थित सूर्यान्क गिरि का उल्लेख पौराणिक कथाओं में मिलता है, जो धार्मिक और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है। जहानाबाद ठाकुरवाड़ी (दरधा-जमुना संगम तट) छठ महापर्व के दौरान अर्घ्य देने के मुख्य घाटों में से एक है।
- अरवल: बेलसार सूर्य मंदिर: कलेर प्रखंड में सोन नदी के तट पर स्थित यह मंदिर मनोकामना मंदिर के रूप में जाना जाता है। मदसर्वं (मधुश्रवा) सूर्य मंदिर: मधेश्वर नाथ मंदिर के पास के पोखरा (कुंड) में स्नान करने से पाप नष्ट होने की मान्यता है। कई स्रोतों में इसे सूर्य मंदिर भी कहा गया है। अरवल जिले में सोन, पुनपुन नदी में अर्घ्य दिया जाता है। करपी में रतन कुंड और सूर्यमंदिर, पन्तित, किंजर में सूर्यमंदिर पुनपुन नदी के किनारे है। गंगा, पुनपुन, सोन, फल्गु, नारायणी नदियों और सरोवरों के विभिन्न सूर्य घाटों पर सूर्योपासना की जाती है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक शुक्ल एवं चैत्र शुक्ल पक्ष चौथ से सप्तमी तक सूर्योपासना में लोग संलग्न रहते हैं।
- नवादा: नारदीगंज प्रखंड के हंडिया गाँव में स्थित सूर्य मंदिर विश्व के पौराणिक व ऐतिहासिक सूर्य मंदिरों में शुमार है और इसे द्वापर कालीन माना जाता है। कुंड की मान्यता: तालाब के पानी में स्नान करने से कुष्ठ रोग दूर होने की मान्यता है। प्रत्येक रविवार को यहाँ श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं।
- भोजपुर (आरा): बेलाउर सूर्य मंदिर (बेलार्क): यह पश्चिमाभिमुख प्राचीन मंदिर है। सूर्यकुंड: यह विशाल भैरवानंद तालाब के बीच स्थित है। छठ अर्घ्य के दौरान सिक्का बांटने की अनूठी परंपरा यहाँ प्रचलित है।
- भकुरा सूर्य मंदिर: यह पुरातन मंदिर तरारी प्रखंड के भकुरा गाँव में तालाब के बीच स्थित है। यहाँ 14वीं सदी या उससे पुराने सूर्य प्रतिमाएँ होने की मान्यता है।
- रोहतास: देवडिही सूर्य मंदिर: चेनारी प्रखंड में स्थित यह अतिप्राचीन सौर केंद्र परवर्ती गुप्त काल में निर्मित हुआ था। देव मार्कंडेय सूर्य केंद्र: काराकाट प्रखंड में स्थित यह स्थान पहले शैव केंद्र था, बाद में यहाँ सूर्य, विष्णु, दुर्गा आदि की प्रतिमाएँ स्थापित हुईं।
- बक्सर: राजपुर प्रखंड के देवढ़िया गाँव में लगभग 1400 वर्ष पुराना सूर्य मंदिर है, जिसे हर्षवर्धन काल का माना जाता है। यहाँ की सूर्य प्रतिमाएँ कोणार्क के समकक्ष मानी गई हैं।
- सारण: गड़खा प्रखंड का सूर्य मंदिर उत्तर बिहार के प्रमुख सौर उपासना केंद्रों में से एक है।
- गंडकी तट कैलाश आश्रम सूर्य मंदिर: यहाँ सूर्य देव की सात घोड़ों वाले रथ की भव्य प्रतिमा स्थापित है।
- मधुबनी: झंझारपुर अनुमंडल का प्राचीन सूर्य मंदिर, जहाँ छठ के लिए एक बड़ा कुंड है।
अन्य जिले:
- मुजफ्फरपुर: चतुर्भुज मंदिर परिसर में सूर्य मंदिर, बूढ़ी गंडक और नारायणी घाट।
- भागलपुर: सूर्य देव नारायण मंदिर, सखीचंद घाट।
- मुंगेर: हवेली खड़गपुर सूर्य मंदिर।
- खगड़िया: कन्दाहा सूर्य मंदिर।
- पूर्णिया: आदित्यधाम सूर्य मंदिर (मरंगा)।
- कटिहार: बलरामपुर सूर्य मंदिर।
- कैमूर (भभुआ): गोडसरा सूर्य मंदिर और मुंडेश्वरी मंदिर।
भारत ही नहीं, विश्व के कई क्षेत्रों में भी सूर्योपासना प्रचलित रही है— इराक में शामश, मिस्र में रा, जापान में अमातेरासु, चीन में ताईयांग की पूजा। भारत में कोणार्क, मोढेरा, बुंडू और कंदाहा सूर्य मंदिर प्रमुख वैश्विक सूर्योपासना केंद्रों में गिने जाते हैं। बिहार के ये सूर्य मंदिर और सूर्यकुंड केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि अटूट आस्था, प्राचीन इतिहास और सांस्कृतिक विरासत के जीवंत प्रमाण हैं। छठ पर्व के दौरान यहाँ अर्घ्यदान की परंपरा जीवन, ऊर्जा और प्रकृति के प्रति सम्मान का अद्भुत प्रतीक बन जाती है।
स्थायी पता: करपी, अरवल, बिहार 804419
वर्तमान पता: माधवनगर, काको रोड, आर एस, जहानाबाद, बिहार 804417
मोबाइल नंबर: 9472987491








