
🌟🌟🌟
टिहरी जिले में खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा पकड़े गए एक रेस्टोरेंट संचालक को मिलावटी चावल परोसने का दोषी पाते हुए न्यायालय ने तीन माह की कैद और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। दो लैब रिपोर्टों में चावल के असुरक्षित पाए जाने के बाद कोर्ट ने इसे आमजन के स्वास्थ्य के साथ गंभीर खिलवाड़ माना।
- टिहरी में मिलावटी चावल का मामला: रेस्टोरेंट संचालक को तीन माह जेल
- खाद्य सुरक्षा उल्लंघन: अदालत ने रेस्टोरेंट मालिक पर 50 हजार जुर्माना लगाया
- दो लैब रिपोर्टों में पुष्टि, कोर्ट ने मिलावटी चावल बेचने वाला दोषी ठहराया
- स्वास्थ्य से खिलवाड़ का दंड: रेस्टोरेंट संचालक को कैद और अर्थदंड
टिहरी। खाद्य पदार्थों में मिलावट कर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाले एक रेस्टोरेंट संचालक को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने दोषी करार देते हुए तीन माह की कैद और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने स्पष्ट किया कि आमजन को असुरक्षित खाद्य सामग्री परोसना न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सीधी खतरा पैदा करने वाला अपराध भी है। यदि दोषी निर्धारित समय में जुर्माना जमा नहीं करता तो उसे एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
यह मामला 14 मई 2022 से शुरू हुआ, जब खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम नियमित निरीक्षण के तहत ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सेलुपानी के पास स्थित एक रेस्टोरेंट पर पहुंची। निरीक्षण के दौरान टीम को खुले में रखा हुआ कच्चा चावल मिला, जिसकी गुणवत्ता पर संदेह होने पर विभाग ने उसे नियमानुसार सैंपल के रूप में भरकर रुद्रपुर स्थित खाद्य प्रयोगशाला भेजा। जांच रिपोर्ट आई तो पुष्टि हुई कि चावल मिलावटी है और मानव उपभोग के लिए पूरी तरह असुरक्षित घोषित किया गया।
Government Advertisement
रेस्टोरेंट संचालक पूरण ने विभाग की इस रिपोर्ट को मानने से इनकार करते हुए अपील दायर की। अपील के बाद सैंपल को दोबारा जांच के लिए केंद्रीय प्रयोगशाला कोलकाता भेजा गया। वहां भी चावल मानकों पर खरा नहीं उतरा और उसे खाने के लिए हानिकारक माना गया। इस तरह दो अलग-अलग स्तर की जांचों से स्पष्ट हो गया कि रेस्टोरेंट लगातार मिलावटी और असुरक्षित भोजन परोस रहा था।
इन दोनों रिपोर्टों के आधार पर खाद्य सुरक्षा विभाग ने छह अप्रैल 2023 को न्यायालय में मुकदमा दर्ज कराया। प्रस्तुत साक्ष्यों, दस्तावेज़ों और विस्तृत बहस के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मोहम्मद याकूब की अदालत ने रेस्टोरेंट संचालक पूरण को दोषसिद्ध ठहराया। अदालत ने माना कि यह मामला केवल खाद्य मानकों के उल्लंघन का नहीं, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीर लापरवाही और गैर-जिम्मेदारी का भी है।
अदालत के फैसले के बाद स्थानीय प्रशासन और खाद्य सुरक्षा विभाग ने कहा कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी, ताकि किसी भी व्यापारी को आमजन की सेहत के साथ खिलवाड़ करने का मौका न मिले। यह सजा उन सभी खाद्य कारोबारियों के लिए भी संदेश है जो स्वच्छता और गुणवत्ता के मूल मानकों से समझौता कर लाभ कमाने की कोशिश करते हैं।





