
टिहरी | उत्तराखंड में लगातार हो रही झमाझम बारिश से टिहरी झील का जलस्तर तेजी से बढ़ गया है। मानसून सीजन में सामान्य से अधिक वर्षा होने के कारण सोमवार तक झील का जलस्तर 822.98 आरएल (रीवर लेवल) तक पहुंच गया है। झील की अधिकतम क्षमता 830 मीटर है। ऐसे में अतिरिक्त दबाव से बचने के लिए अनगेटेड साफ्ट स्पिल-वे से नियमित रूप से पानी छोड़ा जा रहा है।
टीएचडीसी (Tehri Hydro Development Corporation) के अधिकारियों ने बताया कि झील से सुबह और शाम के समय करीब 1000 क्यूमेक्स पानी छोड़ा जा रहा है। जबकि दिन के समय में पानी छोड़े जाने की मात्रा घटाकर 448 क्यूमेक्स कर दी जाती है। इससे झील के जलस्तर को नियंत्रित करने और निचले क्षेत्रों में खतरे से बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
बिजली उत्पादन चरम पर
झील में पर्याप्त पानी भर जाने से इस समय 1086 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। इसमें टिहरी बांध, पीएसपी परियोजना और कोटेश्वर बांध की उत्पादन इकाइयां शामिल हैं। टीएचडीसी का मानना है कि मानसून सीजन ऊर्जा उत्पादन के लिहाज से सबसे अच्छा समय साबित हो रहा है।
जल प्रवाह का आंकड़ा
टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक एल.पी. जोशी ने जानकारी दी कि झील में इस समय कुल 913.13 क्यूमेक्स पानी आ रहा है। इसमें –
- 316.13 क्यूमेक्स पानी भागीरथी नदी से
- 386 क्यूमेक्स पानी भिलंगना नदी से
- 211 क्यूमेक्स पानी सहायक नदियों से
इस प्रवाह को देखते हुए झील से पानी छोड़ना जरूरी हो गया है।
सितंबर तक भर जाएगी झील
42 वर्ग किलोमीटर में फैली टिहरी झील को 830 मीटर तक भरने की अनुमति है। फिलहाल झील की क्षमता के अनुसार अभी लगभग 7.02 मीटर पानी कम है। टीएचडीसी का लक्ष्य है कि सितंबर के प्रथम सप्ताह तक झील पूरी क्षमता तक भर जाए। अधिकारियों के मुताबिक, झील से एक हजार क्यूमेक्स पानी छोड़े जाने से नीचे की ओर किसी तरह का खतरा नहीं है।
स्थानीय लोगों में राहत और आशंका
जहाँ एक ओर टिहरी झील के लबालब होने से जलविद्युत उत्पादन और जल संसाधन की स्थिति बेहतर हुई है, वहीं निचले इलाकों में रहने वाले लोग थोड़ी चिंता भी जता रहे हैं। उन्हें डर है कि लगातार बारिश और जलस्तर बढ़ने की स्थिति में अचानक अधिक पानी छोड़ा गया तो खतरा बढ़ सकता है। हालांकि, टीएचडीसी ने आश्वासन दिया है कि पूरी स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है और लोगों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।