प्रतिभाओं को पूरा सम्मान मिले : कु. अंशुल
सुनील कुमार माथुर
कहते है कि प्रतिभाएं छिपाएं नही छिपती हैं। वे तो इंसान के मन मस्तिष्क में हिरण की छलांगों की तरह कुचाले मारती हैं। जो बात हजार शब्दों में नहीं कहीं जा सकती, वहीं बात एक चित्रकार अपनी चित्रकला, कार्टून, पेंटिंग के माध्यम से आसानी से कहीं जा सकती है। बस प्रतिभाओं को पूरा सम्मान मिलना चाहिए।
पेंटिंग, रंगोली, मांडने, फोटोग्राफी में शौक रखने वाली हंसमुख स्वभाव वाली कु. अंशुल माथुर का कहना है कि इंसान में प्रतिभा कूट कूट कर भरी हुई हैं, लेकिन परिवार, समाज व राष्ट्र की ओर से हुनरबाजों व नाना प्रकार की प्रतिभाओं को आज सम्मान और प्रोत्साहन नहीं मिल रहा हैं, जिसके अभाव में प्रतिभा कुंठित जीवन व्यतीत कर रही है।
अंशुल माथुर का कहना है कि खेलों की भांति स्कूली शिक्षा के साथ ही साथ प्रतिभाओं को भी निखरने का पूरा अवसर दिया जाये व तमाम आवश्यक सामग्री सरकारी स्तर पर व सांसद एवं विधायक कोटे से सुलभ कराई जानी चाहिए। अगर सरकार और हमारे जनप्रतिनिधि इस ओर गहन चिंतन करे तो विधार्थी बिना शिक्षक के भी अपनी कल्पना की उड़ान भर कर समाज व राष्ट्र को ऊंचाइयों तक पंहुचा सकते हैं बस जरूरत है तो प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने की।
अंशुल का कहना है कि इंसान अपने मन मस्तिष्क से नकारात्मक सोच रूपी कूडा करकट निकाल कर बाहर फैंके और सकारात्मक सोच के साथ अच्छे विचारों, श्रेष्ठ संस्कारों को स्थान दीजिये। चूंकि सकारात्मक सोचे वाला व्यक्ति ही सही मायने में धनवान हैं। धन रूपी संपत्ति चलायमान हैं। आज है तो कल नहीं। लेकिन हुनर रूपी कमाई आजीवन हमारे साथ रहती हैं। हुनर बाजार में बिकने वाली चीज नहीं है, अपितु इसे तो तरासा जाता हैं। यही वजह है कि प्रतिभा शाली लोग पुरस्कारों के पीछे नहीं भागते है अपितु पुरस्कार उनके पीछे दौडते हैं।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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