साहित्य लहर
कविता : प्यारी लड़की

इमरान, बेगुसराय, बिहार
लड़की बड़ी प्यारी थी, दिल की सच्ची थी।
आदतों में बच्ची थी, हर छोटी छोटी बातों पर
नाराज हो कर बच्चों की तरह कट्टी कट्टी कहती थी।
जिद्दी थी, जो मन में आए, वही करती थी।
आसमान में उड़ने के सपने देखती, पहाड़ों पर बाहें फैलाती।
छतो पर बारिश में नाचती, खुल के गीत गाती।
चित्रकारी की शौकीन थी अनेकों प्रकार के चित्र बनाती।
कविताओं की वाणी गाती थी,
किस्से कहानी सुनाती और
अपनी दुनियाँ बनाती,फिर उसी में खो जाती थी।
किताबों से लिपट कर सोना, उसकी आदत थी।
जिंदगी से लड़ना जानती थी, बागी थी।
लेकिन उसकी मासूमियत, उसकी सच्चाई,
उसकी बच्चों जैसी मुस्कान, सबको लुभाती थी।
पहाड़ी थी,
लड़की बड़ी प्यारी थी।
सुख-दुख में साथ थी, दूर हो कर भी बहुत पास थी।
जिंदगी में न सही लेकिन यादों में हमेशा साथ थी।
लड़की बड़ी प्यारी थी!!