***
साहित्य लहर

कहानी : चांद के चेहरे पर उगी झाइयां

कहानी : चांद के चेहरे पर उगी झाइयां, आज वेणु के साथ वह देर रात तक जगा रहा था और उसे ऐसा लगता रहा था कि वह वेणु के काफी करीब जा रहा हो और वह हर बार उसके पास आ रही हो। चांद की रोशनी में वेणु उसे सचमुच बेहद सुंदर लग रही थी #राजीव कुमार झा

अनिकेत के लिए वेणु से उसकी दोस्ती कोई  ऐसी नयी – पुरानी बात नहीं है जिसे लेकर वह कोई खास बात सोच सके और उसे इसके बाद ऐसा लगा था कि जिंदगी की सारी बातें ऐसी फ्रेंडशिप में भी सामान्य हो जाती हैं और इस मामले में वह वेणु से किसी प्रकार की कोई अपेक्षा भी नहीं करता है। तीन चार दिन पहले जब वेणु ने उसे प्रोपोज किया था तो उसे ऐसा लगा था कि शायद वह काफी अकेली है । इस शहर में अपने अकेलेपन के बारे में वह कभी किसी को कुछ नहीं बता पाया था और उसे लगता था कि आईटी प्रोफेशनल के तौर पर आज के जमाने के तौर तरीकों के अनुसार जिंदगी जीना चाहिए और शादी विवाह के बारे में भी सोचना चाहिए।

उस दिन शाम में तभी आशीष ने उसे अचानक कुछ ऐसा कहा था कि जिसे सुनकर वह झेंप गया था और बाद में आशीष ने वेणु को फोन पर इसके बारे में जब बताया तो वह देर तक हंसती रही थी। फिर उसे लगा था कि यह सब धीरे – धीरे सामान्य हो जाएगा। वेणु ने अनिकेत को अभी तक अपने माता-पिता और भाइयों से भी नहीं मिलवाया था। आशीष ने अनिकेत को यह जानबूझ ही कहा था और ऐसा ही अनिकेत को भी लगा था लेकिन दोस्तों से तमाम तरह की बातें होती हैं और आशीष ने उसे साफ – साफ कहा था, “अब वेणु तो तुम्हारी दोस्त है और अगर तुम्हें उसकी इच्छाओं और जरूरतों का ख्याल नहीं रहेगा तो जाहिर है वह तुम्हारी जिंदगी में कुछ दिनों की ही मेहमान बनकर रहेगी?

“आशीष ने अनिकेत को बेतकल्लुफी से सारी बातें समझाते हुए कही थी। उसने अनिकेत को यह भी कहा था कि तुम्हें अपने फ्लैट पर वेणु को अकेले बुलाने और मिलने जुलने में संकोच हो रहा हो तो तुम वेणु के घर पर भी जाकर उससे मिलजुल सकते हो और वहां अपनी रातें बिता सकते हो फिर अपने घर पर तुम भी उसे बुलाना और यह सब सारी बातें इस शहर की जिंदगी में जो अपनी सर्किल है अब उसमें सहजता से प्रचलित हैं लेकिन इन सबसे नावाकिफ होने से अनिकेत तुम्हें इन सबको लेकर झिझक महसूस हो रही है लेकिन वेणु ने अकेले गीत गाने के लिए और चबूतरे पर बैठकर राम नाम जपने के लिए तुमसे फ्रेंडशिप नहीं की है इसलिए तुम्हें इन सब सारी बातों को जानना समझना चाहिए।

आशीष ने इससे पहले वेणु और रोहन की दोस्ती का हवाला भी अनिकेत को दिया और कहा कि रोहन के फ्लैट में उन दिनों नये अपार्टमेंट्स में काफी कम लोगों के रहने से वेणु वहां जाने में असहज महसूस करती थी और इन स्थितियों में रोहन ने उसे कभी अकेले नहीं होने दिया और दफ्तर से छुट्टी पाने यार दोस्तों के साथ थोड़ा वक्त बिताने के बाद रोहन खा पीकर अक्सर गाड़ी से वेणु के माता-पिता के फ्लैट पर ही उससे रात में मिलता था और यह क्रम सालों भर चलता रहा लेकिन इसके बावजूद कोई म्युचुअल अंडरस्टैंडिंग इनके बीच कभी नहीं बन पाई और नतीजतन वेणु के शादी से इंकार करने के बाद रोहन ने उससे रिश्ते तोड़ लिए और वह अब रीमा के साथ रहता है।

वेणु अब तुम्हारी जिंदगी में आ गयी है और वह तुमसे प्यार करती है इस बात को तुम्हें गहराई से समझना होगा। इसके अगले कुछ दिनों तक अनिकेत किसी से भी बातचीत नहीं कर पाया था और उसे लगा था कि वह इस तरह शायद सारी बातें समझ सकेगा। खामोशी में ही मन सुकून से तमाम बातों को समझ पाता है। वेणु के पिता सरकारी अधिकारी थे और दिल्ली में उनका अपना निजी फ्लैट भी था। वह खुद रामकृष्ण पुरम के सरकारी मकान में रहते थे और उनके साथ वेणु की छोटी बहन भी रहती थी। यहां पटपड़गंज में वेणु अपने भाई और भाभी के साथ रहती थी और रोहन भी यहां आता – जाता रहा था जिसे लेकर उसके भाई ने कभी कुछ नहीं कहा था।



वेणु के भाई ने भी प्रेम विवाह किया था और उसे इस शहर में प्रेम के संबंध इनके निर्वहन के इस रूप में प्रचलित तौर तरीके कभी गलत नहीं लगते थे और उसे रोहन के घर पर आने से कभी कोई परेशानी नहीं हुई। वह एक समझदार इंसान था और वेणु को वह बेइंतहा प्यार करता था लेकिन पता नहीं क्यों एक दिन जब वेणु से उसके रिश्ते टूट गये तो वह फिर कभी उसके घर नहीं आया और इसके बारे में उसने वेणु से भी कभी कुछ नहीं पूछा था। उसे ऐसा लगा मानो वेणु फिर अकेलेपन में घिर गयी है और इसके बाहर उसे खुद ही निकलना होगा और तभी उस दिन अनिकेत के बारे में उसकी मां ने उसे बताया था कि यहां वह इस शहर में काफी सालों से है और एन आई टी से उसने एमटेक भी किया है और अभी तक किसी लड़की से उसका कोई रिश्ता नहीं रहा है। वह बिहार के गया जिले के किसी गांव का निवासी है और वहां घर द्वार जमीन है।



जिंदगी की खामोशी लेकिन कभी अचानक टूट जाती है और ऐसा लगता है जैसे बिल्कुल कुछ नया घट रहा हो और सारे लोग बिलकुल अपने और जाने पहचाने हों और काफी काम पूरे हो चुके हों और ढेर सारे नये कामों को करना हो । आदमी खुद को अपने लोगों के भी करीब पाता है और अनजाने लोगों को जानने समझने की जगह उनके साथ रहना पसंद करता है। अनिकेत पिछले एक पखवाड़े से वेणु की मित्रता में था और आज वेणु की मां ने उसे फोन करके शाम के बाद अपने बेटे के घर पर जब बुलाया और अपनी बेटी से दोस्ती होने की बात पर जब खुशी प्रकट की तो इसके बाद अनिकेत के मन में वेणु और उसके परिवार के सभी सदस्यों के प्रति आत्मीयता के भाव उमड़ पड़े और बार – बार उसके कानों में वेणु की मां का यह कथन दस्तक देता रहा कि हमलोगों के लिए तुम दोनों एक समान छोटे बच्चे हो और यह घर अब तुम्हारा भी है।



इस दौरान वेणु के पिता जी से भी अनिकेत की बातचीत हुई और उन्होंने अपनी बेटी को सुंदर और समझदार बताते हुए आगे जीवन में तमाम बातों से बेफिक्र रहने के लिए कहा और इस तरह की दोस्ती में आपसी भरोसे को सर्वोपरि बताया। उन्होंने अनिकेत से उसके माता-पिता और भाई – बहनों के बारे में भी जानना चाहा और परिवार के सदस्य की तरह से तमाम लोगों के बारे में जानकारी प्राप्त की। अनिकेत शाम होने के बाद अपनी गाड़ी से जब वेणु के भाई के घर पर पहुंचा तो उसका वेणु और उसके भाई – भाभी ने आत्मीयता से स्वागत किया और अपने फ्लैट के ड्राइंग रूम में उसे लेकर आए।



थोड़ी देर बातचीत करने के बाद वेणु के भाई और भाभी ने अनिकेत को कहा कि वे लोग दो तीन दिनों के लिए अपने बेटे से मिलने के लिए ऊटी जा रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि तब तक वेणु यहां आपकी तमाम जरूरतों का ख्याल रखेगी और बहुत जल्द वह अपनी शादी के बारे में अपने निर्णय से भी सबको अवगत कराएगी और उन्होंने अनिकेत को भी इस बारे में तमाम बातों को ठीक से जानने समझने के लिए कहा। अनिकेत के लिए यह सब सारी बातें बिल्कुल नयी थीं और उसे ऐसा लगा मानो वह बेहद औपचारिक रूप से अपने मन की तमाम बातें वेणु को कहने और बताने की स्थिति में हो।



आज वेणु के साथ वह देर रात तक जगा रहा था और उसे ऐसा लगता रहा था कि वह वेणु के काफी करीब जा रहा हो और वह हर बार उसके पास आ रही हो। चांद की रोशनी में वेणु उसे सचमुच बेहद सुंदर लग रही थी और उसका अक्स जिसकी झाइयों में यह रात कोई खामोश झील की तरह उसे प्रतीत हो रही थी उसे ऐसा लगा कि वह वेणु के साथ इसमें किसी शिकारे पर सवार होकर दुनिया की नजरों से काफी दूर होता जा रहा हो। तभी वेणु ने अनिकेत को रोहन के बारे में भी बताया था कि वह उसे इन पलों में बिल्कुल भी नहीं भूल पाती है और आज की रात वह अचानक उदास हो गयी। अनिकेत थक गया था और वह गहरी नींद में सोया हुआ था।


👉 देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है। अपने शब्दों में देवभूमि समाचार से संबंधित अपनी टिप्पणी दें एवं 1, 2, 3, 4, 5 स्टार से रैंकिंग करें।

कहानी : चांद के चेहरे पर उगी झाइयां, आज वेणु के साथ वह देर रात तक जगा रहा था और उसे ऐसा लगता रहा था कि वह वेणु के काफी करीब जा रहा हो और वह हर बार उसके पास आ रही हो। चांद की रोशनी में वेणु उसे सचमुच बेहद सुंदर लग रही थी #राजीव कुमार झा

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights