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साहित्य लहर

गीत : हे जगजननी

गीत : हे जगजननी, ढूंढले नैनो से भी माँ तुमको, निज अंतर्मन मन में देखा है, पंडित ने भी बतलाया है मां, तेरे प्रेम की हाथ में रेखा है, थोड़ी देर लगे तो कह देना मां, दर्शन का समय बयां कर देना, हे जगजननी जगदंब भवानी, अबके बार कृपा कर देना #सिद्धार्थ गोरखपुरी

हे जगजननी जगदंब भवानी
अबके बार कृपा कर देना
सहता आया हूँ जो अबतक
सारे दुःख मेरे हर लेना

तुम हो मां इस सारे जग की
कृपा तुम्हारी बरसे अब तो
दया दृष्टि फेरो मां जल्दी
मन मंदिर हरसे अब तो
मन की सारी मैल मिटा कर
इसको नया -नया कर देना
हे जगजननी जगदंब भवानी
अबके बार कृपा कर देना

शक्ति आराधना पर्व नवरात्रि

ढूंढले नैनो से भी माँ तुमको
निज अंतर्मन मन में देखा है
पंडित ने भी बतलाया है मां
तेरे प्रेम की हाथ में रेखा है
थोड़ी देर लगे तो कह देना मां
दर्शन का समय बयां कर देना
हे जगजननी जगदंब भवानी
अबके बार कृपा कर देना

मनुष्य और प्रकृति

मां तो मां……होती है मां
जिसे सबसे प्यारी संतान है मां
मां तेरे बेटे के हर रस्ते में
उपजे कई व्यवधान है मां
बतलाने की नहीं जरूरत
के हे मां क्या कर देना
हे जगजननी जगदंब भवानी
अबके बार कृपा कर देना


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गीत : हे जगजननी, ढूंढले नैनो से भी माँ तुमको, निज अंतर्मन मन में देखा है, पंडित ने भी बतलाया है मां, तेरे प्रेम की हाथ में रेखा है, थोड़ी देर लगे तो कह देना मां, दर्शन का समय बयां कर देना, हे जगजननी जगदंब भवानी, अबके बार कृपा कर देना #सिद्धार्थ गोरखपुरी

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