पुत्र वधु होती है ‘बुढ़ापे की लाठी’

वैदिक विश्वकर्मा
बेटा तो परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने पारिवारिक सुखों का त्याग करके दिन भर काम पर रहता हैं कभी कभी तो महीनो अपने परिवार से दूर रहता है बेटे के पीछे से अपने बुजुर्ग सास ससुर की सेवा बुढ़ापे की लाठी बनकर पुत्र वधु ही सेवा करती है फिर पुत्र कैसे बुढ़ापे की लाठी हो गया.
बेटी तो पराया धन होती है जो अपनी ससुराल जाकर अपने बुजुर्ग माता पिता रूपी सास ससुर की बुढ़ापे की लाठी बनकर उनकी सेवा करती है फिर कैसे बेटी अपने जन्मदाता मां बाप की बुढ़ापे की लाठी बन सकती है फिर कहूंगा बुढ़ापे की लाठी सिर्फ पुत्र वधु ही होती है.
मैं सभी बुजुर्गो से अपील करता हू अपने पुत्र से ज्यादा सम्मान अपनी पुत्र वधु को दे। पुत्र वधु को पुत्र से ज्यादा सम्मान देने से पुत्र वधु की ससुराल के प्रति नेगेटिव सोच पॉजिटिव सोच में बदल जाएगी और कम से कम 70% ग्रह कलेश खत्म हो जाएंगे और आपका घर स्वर्ग बन जायेगा.
सभी वरिष्ठ समाज सेवियों अनुरोध करता हू जो स्त्री अपने बुजुर्ग सास ससुर की निस्वार्थ भाव सेवा कर रही है उनको सामाजिक कार्यक्रमों में बुलाकर मंच पर सम्मान करे इससे दूसरी महिलाओं को सीख मिलेगी और वो भी अपने सास ससुर की सेवा निस्वार्थ भाव से करने लगेंगे। समाज सेवको के ऐसा करने से घरों में चल रहे बजे 30% ग्रह कलेश खत्म हो जाएंगे और अन्य महिलाओं के घर भी स्वर्ग हो जाएंगे.
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