
जौनपुर। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से एक हृदय विदारक और स्तब्ध कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक नशे के आदी पति ने अपनी ही पत्नी को 2.20 लाख रुपये में एक व्यक्ति को बेच दिया। यह घटना करीब डेढ़ साल पुरानी है, लेकिन पीड़िता को अब जाकर न्याय की ओर पहली सीढ़ी मिली है। थाना स्तर पर कोई सुनवाई नहीं होने के कारण महिला को अंततः अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा, जहां से न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश पर चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। मामला न केवल महिला के मानवीय अधिकारों का हनन है, बल्कि पुलिस तंत्र की संवेदनहीनता और उदासीनता का भी प्रमाण है।
■ यह है पूरा मामला
शोभावती (34), जो अनुसूचित जाति से संबंध रखती हैं, की शादी लगभग 15 वर्ष पूर्व सिंगरामऊ थाना क्षेत्र के खानपुर निवासी राजेश नामक व्यक्ति से हुई थी। उनके चार बच्चे हैं – दो पुत्र और दो पुत्रियां। शादी के कुछ वर्षों बाद ही राजेश नशे का आदी हो गया और उसका संबंध एक अन्य महिला से बन गया। पीड़िता ने आरोप लगाया कि करीब डेढ़ साल पूर्व, राजेश ने उसे राशन कार्ड बनवाने के बहाने बदलापुर थाना क्षेत्र में अशोक कुमार नामक व्यक्ति के घर ले जाकर 2.20 लाख रुपये में बेच दिया। विरोध करने पर अशोक कुमार और उसके साथियों ने असलहे के बल पर उसे धमकाया और बंधक बनाकर रखा।
■ भाई को बताया – बहन बच्चों संग भाग गई
शोभावती के भाई गुड्डू जब बहन के ससुराल पहुंचा, तो राजेश ने कह दिया कि उसकी बहन बच्चों के साथ कहीं भाग गई है। गुड्डू को शक हुआ और वह थाने भी गया, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। इसी बीच, किसी तरह अशोक कुमार के चंगुल से निकलकर शोभावती चार फरवरी 2025 को थाने पहुंची और न्याय की गुहार लगाई, पर वहां भी कोई मदद नहीं मिली।
■ कोर्ट के आदेश से दर्ज हुआ केस
थक-हार कर पीड़िता ने न्यायालय का सहारा लिया। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम शिल्पी की अदालत ने मामले की गंभीरता को समझते हुए पति राजेश, खरीदार अशोक कुमार, मुंशी हरिजन और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं – मानव तस्करी, मारपीट, जान से मारने की धमकी, चोट पहुंचाना, साजिश रचना – के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।
■ पुलिस ने जताया पछतावा, दोषी कर्मियों पर होगी कार्रवाई
महराजगंज थानाध्यक्ष अमित पांडेय ने बताया कि मामला पहले थाने पर आया था, लेकिन उस समय थाना प्रभारी कोई और थे। अब कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और विवेचना की जा रही है। वहीं, एएसपी ग्रामीण आतिष सिंह ने कहा कि यदि किसी पुलिसकर्मी की लापरवाही या लापरवाही सामने आती है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
■ ये सवाल खड़े करता है यह मामला:
- एक महिला की बिक्री जैसे गंभीर अपराध में डेढ़ साल तक थाने में सुनवाई क्यों नहीं हुई?
- पुलिस ने शुरू से कार्रवाई क्यों नहीं की?
- क्या यह मामला जातीय और लैंगिक पक्षपात की भी तस्वीर पेश करता है?
यह मामला केवल एक महिला की पीड़ा नहीं है, यह हमारे समाज, पुलिस और न्याय व्यवस्था के चरमराते ढांचे की गूंज भी है।