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साहित्य लहर

लघुकथा : आदमी की परख

वीरेंद्र बहादुर सिंह

“जिंदगी के छोटे सफर में एक सुंदर हमसफर मिल जाए, इसके बाद दूसरा इससे अधिक क्या चाहिए। बहुत नसीबदार है उसकी पत्नी… अरे आप को पता है, कामिनी के लिए रोज नई गिफ्ट लाता है मनोहर। एकदम रोमांटिक मूड वाला है वह। और एक तुम हो, एकदम अकड़ू। सब के लिए तो कुछ ठीक भी हो, पर मेरे लिए तो… अरे कुछ तो अच्छा बनो जरा। कब तक बोरिंग बने रहोगे? कम से कम अब तो सुधर जाओ। लोगों को देख कर कुछ तो सीखो… “

एकदम शांत रास्ते पर दोनों बातें करते चले जा रहे थे। मीना एक के बाद एक अपनी शिकायत करती जा रही थी। श्याम शांति से मुसकरा कर उसकी बातें सुन रहा था। इसी तरह की अपनी बातें सोच कर मीना की आंखें भर आईं। आखिर कैसा होता है बढ़िया स्वभाव? यह एक ऐसा आदमी है, जिसे उसने शिकायत के अलावा कुछ नहीं दिया। फिर भी एक शब्द बोले बगैर पिछले दो सालों से वह उसकी सेवा में हाजिर रहता है।

पूरा घर इसने प्रेम से संभाल रखा है। अब तक वह जिन गुणों को एक अच्छे व्यक्तित्व में समझती थी, वे सब ही…। घर में नौकर है, पर जब इन्हें पता चला कि मुझे कैंसर है, तब से तो…। अरे इस अकड़ू चेहरे के पीछे इतना बढ़िया आदमी था, जिसे मैं इतने सालों तक समझ ही नहीं सकी। सचमुच बढ़िया कौन था, मैं समझ नहीं पाई। समय भी कितना बलवान होता है, आदमी की परख भी हुई तो अंतिम समय में।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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वीरेंद्र बहादुर सिंह

लेखक एवं कवि

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जेड-436-ए, सेक्टर-12, नोएडा-201301 (उत्तर प्रदेश) मो: 8368681336

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देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

 

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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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