लघुकथा : मासूम सी मुस्कान

लघुकथा : मासूम सी मुस्कान, वह शायद किसी ईंट भट्ठे पर कार्य करने वाले मजदूर का बेटा था। हो सकता है, उसका पिता अंदर गली में ईंटों की भरी ट्राली खाली कर रहा हो और वह उसी की प्रतीक्षा में बैठा हो। #मुकेश कुमार ऋषि वर्मा, आगरा (उत्तर प्रदेश)
घर पर कार्य चल रहा था। दोपहर को अपने मजदूर के लिए नाश्ता लेने मैं हलवाई की दुकान पर चला गया। नाश्ता पैक कराकर हलवाई से पूछा कितने पैसे हुए।
‘साठ रुपए’…
‘पचास में काम चल जायेगा ना’…
वह मान गया। मैंने दस रुपए का नोट अपनी कमीज की जेब में रखा और नाश्ता थैले में। बाइक को पहली किक मारी ही थी कि अचानक से मेरी नजर सड़क की दूसरी ओर बैठे एक साॅंवले से कमजोर लड़के पर चली गई।
वह शायद किसी ईंट भट्ठे पर कार्य करने वाले मजदूर का बेटा था। हो सकता है, उसका पिता अंदर गली में ईंटों की भरी ट्राली खाली कर रहा हो और वह उसी की प्रतीक्षा में बैठा हो।
मैंने उसे पास आने का इशारा किया, वह आ गया। उसे दस रुपए का नोट थमा दिया, ‘जा कुछ खा ले।’
वह मासूम सी मुस्कान के साथ चला गया। उसकी मुस्कान ने हृदय को असीम शांति प्रदान की…।
👉 देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है। अपने शब्दों में देवभूमि समाचार से संबंधित अपनी टिप्पणी दें एवं 1, 2, 3, 4, 5 स्टार से रैंकिंग करें।