चौंकाने वाला खुलासा : रक्षा मंत्रालय की 55 बीघा जमीन के फर्जी दस्तावेज
चौंकाने वाला खुलासा : रक्षा मंत्रालय की 55 बीघा जमीन के फर्जी दस्तावेज… अभी तक जो भी मामले सामने आए उनके दस्तावेज देहरादून स्थित कार्यालयों से जुटाकर तैयार किए गए थे। लेकिन, यह पहला मामला है जिसमें सहारनपुर के भी कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई है।
देहरादून। देहरादून के रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में अब एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जालसाजों ने रक्षा मंत्रालय की 55 बीघा जमीन के भी फर्जी दस्तावेज बनाकर इस पर कब्जे का प्रयास किया। लड़ाई न्यायालय तक लड़ने चले गए। इसी बीच एक जालसाज को एसआईटी ने गिरफ्तार कर लिया। बिजनौर निवासी इस जालसाज ने टर्नर रोड स्थित एक जमीन को भी 11 लोगों को बेचकर तीन करोड़ रुपये लिए थे। इस मामले में अब तक एसआईटी 16 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि सुभाष नगर चौक स्थित 2500 गज जमीन और माजरा स्थित 55 बीघा जमीन के फर्जी दस्तावेज बनाने संबंधी मुकदमे कोतवाली में दर्ज किए गए थे। इनकी जांच में बिजनौर के नगीना निवासी हुमायूं परवेज का नाम सामने आया। आरोपी को एसआईटी ने बृहस्पतिवार को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी ने पूछताछ में बताया कि उसने टर्नर रोड स्थित जमीन के सहारनपुर में अपने साथियों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज बनाए थे।
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इस जमीन का 1944 में अल्लादिया से अब्दुल करीम और अपने पिता जलीलू रहमान के नाम बैनामा बनाकर मालिक दर्शाया था। इसके उसने वर्ष 2016 में सहारनपुर के रजिस्ट्रार रिकॉर्ड रूम में जिल्द में चढ़वा दिया। जलीलू रहमान की मौत के बाद इस जमीन को वसीयत के आधार पर 2019 से 2020 के बीच हुमायूं परवेज ने 11 लोगों को बेच डाला। इससे कुल तीन करोड़ रुपये सहारनपुर के जेएंडके बैंक के खाते में जमा कराए।
इसके साथ ही उसने अपने साथियों के माध्यम से माजरा स्थित 55 बीघा जमीन के फर्जी दस्तावेज बनवाए। इस जमीन के असली मालिक लाला सरनीमल व मनीराम से 1958 का फर्जी बैनामा बनाया गया। इसे भी उसने अपने पिता जलीलू रहमान और एक अन्य व्यक्ति अर्जुन प्रसाद के नाम दर्शाया। इसके बाद इस जमीन के सीमांकन के लिए एसडीएम कार्यालय और उच्च न्यायालय में भी प्रार्थनापत्र दिए। लेकिन, माजरा में इस जमीन पर रक्षा मंत्रालय काबिज है।
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लिहाजा, न्यायालय ने सीमांकन की कार्रवाई को खारिज कर दिया। इस जमीन का कोई मालिक नहीं था। इस पर किसी ने 1958 तक हक भी नहीं जताया। लिहाजा, तत्कालीन जिलाधिकारी ने इस जमीन को रक्षा मंत्रालय को दे दिया था। रक्षा मंत्रालय वर्तमान में भी इस जमीन पर काबिज है। लेकिन, इस बात का जालसाजों को पता नहीं था।
उन्होंने इस जमीन के सहारनपुर के रजिस्ट्रार कार्यालय से कागज लिए और वर्ष 2016 में फर्जी दस्तावेज से बैनामा दर्शा दिया। अभी तक जो भी मामले सामने आए उनके दस्तावेज देहरादून स्थित कार्यालयों से जुटाकर तैयार किए गए थे। लेकिन, यह पहला मामला है जिसमें सहारनपुर के भी कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई है। ऐसे में अब एसआईटी सहारनपुर के कुछ कर्मचारियों को भी गिरफ्तार कर सकती है।
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