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उत्तराखण्ड समाचार

पीएमओ, सीएम को 11 सूत्रीय ज्ञापन भेजा

प्रधानमंत्री के पिथौरागढ दौरे को लेकर सक्रिय हुए सामाजिक संगठन

पीएमओ, सीएम को 11 सूत्रीय ज्ञापन भेजा, प्रमाण पत्र भी जारी करे यदि सरकार जिले को ऑर्गनिक जिला घोषित कर दे तो हमारे स्थानीय उत्पादों को एक अच्छा बाजार मिलेगा तथा पर्यटकों की आवाजाही भी बड़ेगी।

पिथौरागढ। प्रधानमंत्री के आगामी 11,12 अक्तूबर के पिथौरागढ भ्रमण की तैयारियों के बीच सामाजिक संगठनों ने जिले की समस्याओं के समाधान की पहर तेज कर दी है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को 11 सूत्रीय ज्ञापन भेजकर प्राथमिकता से इन समस्याओं के समाधान की मांग की गई है। उत्तराखंड पारंपरिक उत्थान समिति के अध्यक्ष राम सिंह ने कहा है कि जनपद पिथौरागढ़ में 85 प्रतिशत लोग साक्षर हैं। यहां कोई भी विकसित पर्यटन स्थल,उद्योग न होने से बेरोजगारी अत्यधिक है।

जिले की आर्थिक हालत बहुत ही खराब है ऐसे में परिवार के भरण पोषण हेतु पलायन ही एक मात्र विकल्प रहता है। ज्ञापन में कहा गया है कि रामेश्वर घाट जनपद पिथौरागढ़, चम्पावत व अल्मोड़ा की सीमा से लगा हुआ है तथा पिथौरागढ़ चम्पावत, जागेश्वर व गंगोलीहाट विधानसभा की सीमा से घिरा हुआ है। पौराणिक दृष्टि से यह स्थान अल्मोड़ा,पिथौरागढ व चम्पावत जिले का बहुत महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहां पर सरयू नदी व राम गंगा नदी का संगम भी है।

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इस क्षेत्र के बारे में कई किवंदती है कि यहां पर किसी दक्षिणात्य पंडित ने भगवान् भोले को खुश करने के लिए यज्ञ किया था और सेतु बन्धु रामेश्वरम के नाम से इस जगह को नाम दिया था तथा महाराज उद्योत चन्द्र ने 1604 ईसवी में रामेश्वर मंदिर को यह भूमि दान की थी। स्कन्द पुराण के मानसखंड 95 अध्याय में इस स्थान का बहुत ही मनोहारी वर्णन मिलता है इस स्थान की स्तुति के बिना जागेश्वर धाम की स्तुति, यात्रा अधूरी मानी जाती है।

कहा जाता है कि मर्यादा पुरूषोत्तम राम ने सत्यलोक जाने से पहले यही पर शंकर पूजन किया था शिव कृपा से ही उनका शरीर बैकुंठ धाम को प्रस्थान किया था। बहुत सारी किवंदती इस तीर्थ के बारे में हमारे पुराणों में लिखी गयी है। उत्तरायण में इस संगम में स्नान करने से कई पारिवारिक व शारीरिक व्याधाऐं दूर होती है कालान्तर में यहां दीपदान की प्रथा थी। पूर्वोत्तर कुमायू का यह सबसे बड़ा शमशान घाट भी है। यह स्थान लोक गीतों व लोक कलाओं के लिए प्रसिद्ध है।

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अल्मोड़ा , काली कुमायू, गंगोली व सोर पिथौरागढ संस्कृति का संगम स्थल भी है। यहां पर स्थानीय उत्पादों का व मवेशियों के व्यापार का केंद्र भी बन सकता है। यदि इस स्थान को विकास किया जाय तो कम से कम दस हजार परिवारों को रोजगार मिलेगा। जनपद पिथौरागढ़ के समीप चंडाक व थलकेदार क्षेत्र में रोपवे लगाये जाय जिससे लगभग पांच सौ लोग रोजगार से जुड़ेंगे। टनकपुर से पिथौरागढ़ को यदि रेल लाइन से जोड़ा जाय तो पिथौरागढ़ पर्यटन के क्षेत्र में विश्व स्तरीय पर्यटन केंद्र बन सकता है।



पिथौरगढ़ जनपद के आदि कैलाश, ॐ पर्वत, पाताल भुवनेश्वर आदि पौराणिक रूप से बहुत महत्त्वपूर्ण है। यदि इन क्षेत्रों को आपस में अच्छी सड़को से जोड़ा जाय तो बहुत से परिवारों को रोजगार मिलेगाI पिथौरागढ़ जनपद में आयुर्वेद (जड़ी बूटी ) का अथाह भण्डार है यदि यंहा पर एक आयुर्वेद अनुसंधान केंद्र खोल दिया जाय तो स्थानीय लोगो को एक बेहतरीन रोजगार मिल सकता है सीमान्त किसानो को यदि इन उत्पाद की जानकारी होगी तो उनको उत्पाद की कीमत मिलेगी लगभग पूरा जनपद इस रोजगार से जुड़ेगा।



हवाई सेवा अब जरूरत बन गयी है यहां स्वास्थ्य सुविधा सही न होने से मरीज को हल्द्वानी , बरेली दिल्ली आदि स्थानों पर आपात काल में ले जाना पड़ता है। नियमित हवाई सेवा पिथौरागढ़ – पन्त नगर – दिल्ली की शुरू करने की आवश्यकता है। पिथौरागढ़ जिले को पौराणिक गुफाओं का शहर भी कहा जाता है जिला मुख्यालय के चारों तरफ पौराणिक महत्व की गुफाये हैं जो शहर के बाहरी क्षेत्र में है यदि इन गुफाओं को सौन्दर्यीकरण कर एक रिंग रोड के माध्यम से जोड़ा जाय तो यह पर्यटकों को बहुत आकर्षित लगेगा व स्थानीय लोगों को भी पूजा पाठ करने में आसानी होगी।



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पिथौरागढ़ से आदि कैलाश व कैलाश मानसरोवर की यात्रा शुरू हो चुकी है यात्रा में जो भी लोग जाते हैं, उनका पहला पड़ाव पिथौरागढ़ मुख्यालय में रखा जाय जिससे तीर्थ यात्रियों को पिथौरागढ़ के बारे में जानकारी होगी व होटल व्यवसाय बढेगा । स्थानीय उत्पादों को बाजार मिलेगा तथा कई लोग रोजगार से जुड़ेंगे। अभी जितने भी निजी टूर संचालक है वह सीधे काठ गोदाम से धारचुला व गूंजी में तीर्थ यात्रियों का प्रवास कराते हैं जिससे एक साथ लम्बी यात्रा व अनुकूल मौसम न मिलने की वजह से बहुत से तीर्थ यात्री बीमार पड़ जाते है वह या आधे रास्ते से तो वापस आ जाते है या जान गंवा देते है इससे हमारे जनपद व हमारे तीर्थ स्थल की बदनामी होती है।



काठगोदाम या टनकपुर के बाद पहला पडाव सभी तीर्थ यात्रियों का पिथौरागढ़ हो दूसरा धारचुला/गुंजी में हो ताकि उनकी यात्रा सुगम हो सके। जहां तक सम्भव हो कुमाऊ मंडल विकास निगम इस यात्रा के संचालन का काम उत्तराखंड के ही टूर संचालको को दे जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके। आदि कैलाश व ॐ पर्वत यात्रा विदेशी मेहमानों के लिए भी ओपन किया जाय। पिथौरागढ़ जिले के बच्चे बहुत ही मेघावी हैं तथा प्रतियोगी परीक्षाओं में, खेल के क्षेत्र में बहुत अच्छा प्रदर्शन यहां के बच्चे देते हैं, वर्तमान में यह देखा जा रहा है कि नशे की लत यहां पैर पसार रही है।



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सरकार यहां पर एक पुनर्वास केंद्र/नशा उन्मूलन केन्द्र शीघ्र खोलने के निर्देश दे जिसका संचालन भूतपूर्व सैनिकों या सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों या किसी अच्छे समाजिक संगठन के हाथ में हो। पिथौरागढ़ जिला प्राकृतिक संशाधनो से भरपूर है यहां पर फिल्म उद्योग की अपार संभावना हैI जिले की कई प्रतिभायें फिल्म नगरी में फिल्म व थिएटर उद्योग से भी जुड़े है एक फिल्म सिटी पिथौरागढ़ जिले में स्थापित किये जाना चाहिए। साथ ही वर्षो से धूल खा रहा आकाशवाणी केंद्र का रिले यहां से शुरू किये जाए।



पिथौरागढ़ जिले में रासायनिक उर्वरक का प्रयोग नहीं के बराबर होता है, रासायनिक उर्बरक में शक्ति से प्रतिबंध लगाया जाय व पिथौरागढ़ जिले को ऑर्गनिक जिला घोषित किया जाय साथ ही यहां के ऑर्गनिक उत्पादों को राज्य सरकार जांच के उपरान्त प्रमाण पत्र भी जारी करे यदि सरकार जिले को ऑर्गनिक जिला घोषित कर दे तो हमारे स्थानीय उत्पादों को एक अच्छा बाजार मिलेगा तथा पर्यटकों की आवाजाही भी बड़ेगी।


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पीएमओ, सीएम को 11 सूत्रीय ज्ञापन भेजा, प्रमाण पत्र भी जारी करे यदि सरकार जिले को ऑर्गनिक जिला घोषित कर दे तो हमारे स्थानीय उत्पादों को एक अच्छा बाजार मिलेगा तथा पर्यटकों की आवाजाही भी बड़ेगी।

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