आत्मसम्मान
आत्मसम्मान, अतः धन दौलत व भौतिक सुख सुविधाओं पर अंहकार को गले न लगाये अपितु प्यार, प्रेम, स्नेह, सहनशीलता, धैर्य, करूणा, मिलनसारिता को अंगीकार कीजिए। ये सभी चीजें फिलहाल निशुल्क उपलब्ध है। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
आज इंसान धन के बल पर घमंडी हो गया है। उसके पास घर, गाडी, नौकर चाकर, बंगला, फार्म हाउस, अपार बैंक बैलेंस हैं। बच्चों व पत्नी के पास भी ये तमाम भौतिक सुख सुविधाएं हैं। इसलिए वह अपने सामने किसी को कुछ भी नहीं समझता हैं।
इन तमाम भौतिक सुख सुविधाओं के चलते वह दूसरों को अपने से कमजोर, गरीब, असहाय व हर वक्त पैसे वालों के समझ गिड़गिड़ाने वाला समझते हैं चूंकि उनमें अंहकार सवार हैं। अंहकार में वे इतने अंधे हो गये है कि अपने समक्ष किसी को कुछ नहीं समझे या फिर दीनहीन समझते हैं।
जबकि हकीकत में देखा जाये तो जो लोग अपने को लखपति व करोड़पति समझते हैं वे कुछ भी नहीं है भले ही उनके पास तमाम तरह की भौतिक सुख सुविधाओं का भण्डार ही क्यों न हो। उनसे भले तो वे लोग है जिनके पास भले ही धन दौलत, भौतिक सुख सुविधाओं का अभाव हो, लेकिन उनका अपना आत्मविश्वास, आत्मसम्मान, प्यार, ईमानदारी, निष्ठा, सहनशीलता, धैर्य, त्याग, करूणा, सबके साथ मिलकर सीमित साधनों में भी ढेर सारी खुशियां मनाने का अपार सुख होता हैं।
अतः धन दौलत व भौतिक सुख सुविधाओं पर अंहकार को गले न लगाये अपितु प्यार, प्रेम, स्नेह, सहनशीलता, धैर्य, करूणा, मिलनसारिता को अंगीकार कीजिए। ये सभी चीजें फिलहाल निशुल्क उपलब्ध है।
यह आप पर निर्भर करता है कि आप इनका कितना इस्तेमाल करते हो कहीं ऐसा न हो कि बाद में इनके इस्तेमाल पर भी हमें टैक्स देना पडे। वैसे भी हमारे देश के लोग मुफ्त की चीजों में विश्वास रखते हैं तो फिर जमकर प्यार, स्नेह, ईमानदारी, निष्ठा, कर्तव्य परायणता, जरूरतमंदो की सेवा कर पुण्य लाभ कमाये और हंसते-खेलते जीवन व्यतीत कीजिए।
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