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साहित्य लहर

नमन देश की माटी चंदन

विधा : सरसी या कबीर छंद

डॉ. धाराबल्लभ पांडेय ‘आलोक’

नमन देश की माटी चंदन, हे माँ, तुझे प्रणाम।
स्वर्ग सी पावन निर्मल आभा, मंगलमय अभिराम।।

विश्व बंदिनी मातृभूमि जय, भारत देश महान।
वीर शहीदों की धरती माँ, शक्ति-भक्ति वरदान।।
जय-जय कोटि कोटि देवों की, ऋषि-मुनियों की धाम।
स्वर्ग सी पावन निर्मल आभा, मंगलमय अभिराम।।

बहु भाषा भाषी जन इसका, करते मंगल गान।
बहु संस्कृति धर्मों के जन-मन, रखते इसका मान।।
उत्सव पर्व प्रथा परिधानों, की धरती चिरधाम।
स्वर्ग सी पावन निर्मल आभा, मंगलमय अभिराम।।

नमन देश की माटी चंदन, हे माँ, तुझे प्रणाम।
स्वर्ग सी पावन निर्मल आभा, मंगलमय अभिराम।।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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From »

डॉ. धाराबल्लभ पांडेय ‘आलोक’

लेखक एवं कवि

Address »
अल्मोड़ा, उत्तराखंड

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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