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उत्तराखण्ड समाचार

रुद्रप्रयाग जिले को भूस्खलन से सबसे ज्यादा खतरा, अब तक हो चुके कईं हादसे

रुद्रप्रयाग जिले को भूस्खलन से सबसे ज्यादा खतरा, अब तक हो चुके कईं हादसे, गौरीकुंड भूस्खलन हादसे ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के राष्ट्रीय सुदूर संवेदी केंद्र (एनआरएससी) की उस भूस्खलन मानचित्र रिपोर्ट पर मुहर लगाई है। 

देहरादून। रुद्रप्रयाग जिले के गौरीकुंड में भीषण भूस्खलन हादसे में 19 लोगों के लापता होने की सूचना है। ऐसा पहली बार नहीं है जब जिले में भूस्खलन से लोगों के मारे जाने या लापता होने की घटना सामने आई है। दुर्भाग्य से रुद्रप्रयाग देश के 10 सबसे अधिक भूस्खलन खतरे वाले जिलों में से पहले नंबर है। इसकी तस्दीक पिछले तीन-चार दशकों के दौरान जिले में भूस्खलन की वे बड़ी घटनाएं हैं, जिनमें हजारों लोग मारे गए या लापता हो गए।

2013 में केदारनाथ में हुए भूस्खलन और बाढ़ में 4500 लोग मौत के आगोश में सो गए थे या नामो-निशान मिट गया। गौरीकुंड भूस्खलन हादसे ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के राष्ट्रीय सुदूर संवेदी केंद्र (एनआरएससी) की उस भूस्खलन मानचित्र रिपोर्ट पर मुहर लगाई है। उपग्रह से लिए गए चित्रों के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट बताती है कि रुद्रप्रयाग जिले को देश में भूस्खलन से सबसे अधिक खतरा है।

भूस्खलन जोखिम के मामले में देश के 10 सबसे अधिक संवेदनशील जिलों में टिहरी दूसरे स्थान पर है। पर्वतीय जनमानस के लिए चिंताजनक बात यह है कि सर्वाधिक भूस्खलन प्रभावित 147 जिलों में उत्तराखंड के सभी 13 जिले शामिल हैं। इनमें चमोली जिला भूस्खलन जोखिम के मामले में देश में उन्नीसवें स्थान पर है। चमोली जिले का जोशीमठ शहर भूस्खलन के खतरे की चपेट में पहले से है।

उत्तराखंड में भूस्खलन से वर्षवार कुछ घटनाएं

  • 1976 : भूस्खलन से ऊपरी क्षेत्रों में मंदाकिनी का प्रवाह अवरुद्ध।
  • 1979 : क्यूंजा गाड़ में बाढ़ से कोंथा, चंद्रनगर और अजयपुर क्षेत्र में तबाही। 29 लोग मरे।
  • 1986 : जखोली तहसील के सिरवाड़ी में भूस्खलन, 32 मरे।
  • 1998 : भूस्खलन से भेंटी और पौंडार गांव ध्वस्त। साथ ही 34 गांवों में पहुंचा नुकसान, 103 लोगों की हुई थी मौत।
  • 2001 : ऊखीमठ के फाटा में बादल फटा, 28 की मौत।
  • 2002 : बड़ासू और रैल गांव में भूस्खलन।
  • 2003 : स्वारीग्वांस मेंं भूस्खलन।
  • 2004 : घंघासू बांगर में भूस्खलन।
  • 2005 : बादल फटने से विजयनगर में तबाही, चार की मौत।
  • 2006 : डांडाखाल क्षेत्र में बादल फटा।
  • 2008 : चौमासी-चिलौंड गांव में भूस्खलन। एक युवक मरा और कई मवेशी मलबे मेंं दबे।
  • 2009 : गौरीकुंड घोड़ा पड़ाव मेंं भूस्खलन, दो श्रमिक मरे।
  • 2010 : जनपद में कई स्थानों पर बादल फटे, एक युवक बहा।
  • 2012 : ऊखीमठ के कई गांवों में बादल फटा, 64 लोग मरे।
  • 2013 : केदारनाथ आपदा में 4500 से ज्यादा मरे, पूरी केदारघाटी प्रभावित।
  • 2023 : गौरीकुंड में भूस्खलन, 19 लोग लापता।

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रुद्रप्रयाग जिले को भूस्खलन से सबसे ज्यादा खतरा, अब तक हो चुके कईं हादसे, गौरीकुंड भूस्खलन हादसे ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के राष्ट्रीय सुदूर संवेदी केंद्र (एनआरएससी) की उस भूस्खलन मानचित्र रिपोर्ट पर मुहर लगाई है। 

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