कोटगाढ़ की चट्टानें : गुमनाम पहाड़ियों को सैलानियों का इतंजार
कोटगाढ़ की चट्टानें : गुमनाम पहाड़ियों को सैलानियों का इतंजार, अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर समुद्रतल से 1600 मीटर की ऊंचाई पर अल्मोड़ा कबड़खान रोड पर कालीमठ की पहाड़ी सैन्य प्रशिक्षण के लिए भी माकूल है। काली चट्टानें सौ फुट के आसपास ऊंची हैं।
अल्मोड़ा। दौड़भाग भरी जिंदगी में मानसिक शांति के लिए कठिन हालात वाले सुरम्य पहाड़ की ओर सैर की जिज्ञासा भी जगाती हैं। उत्तराखंड में तमाम गुमनाम पहाडियां हैं, जो राक क्लाइंबिंग का रोमांच बढ़ाती हैं। खालिस चट्टानों वाले ये हिल स्टेशन बेशक लाइम लाइट में न हों, मगर प्रकृति के करीब रहने वाले साहसिक पयर्टक यहां दोबारा आना नहीं भूलते। तो आइए आपको ले चलते हैं अल्मोड़ा व रानीखेत में मौजूद ऐसी ही पहाड़ियों की ओर, जो ऊंचाई छू लेने के लिए प्रेरित ही नहीं करती, बल्कि मुश्किल चढ़ाई चढ़ने का हौसला भी देती हैं।
रानीखेत में कोटगाढ़ की चट्टान पर तो कारगिल युद्ध के बाद फौजियों को भी राक क्लाइंबिंग का खास प्रशिक्षण दिया जा चुका है। यहां साहसिक यात्राओं का इतिहास सदियों पुराना है। पहले मानव विकास क्रम के साथ भोजन और बसासत के अनुकूल सुरक्षित ठौर की तलाश में जोखिम उठाकर अंजान भूभाग तक पहुंच जाया करते थे। मगर अब काफी कुछ बदल चुका है। इस विज्ञानी दौर में संघर्ष की सदियों पुरानी यात्रा अब साहसिक पर्यटन के रूप में नई ऊर्जा व नया रोमांच भरती है।
हालांकि दुरूह पहाड़ों को पार कर चट्टानों पर चढ़ाई और निर्जन वन क्षेत्रों से होकर लंबा सफर जोखिम से भरा होता है, लेकिन प्रकृति से साक्षात्कार करते आगे बढ़ते रहने की धुन उमंग व उत्साह भी बढ़ाती है। आज तो राक क्लाइंबिंग, रैपलिंग (झरनों की तेज धार के बीच पानी से तरबतर चट्टान पर चढ़ाई कर शिखर की ओर बढ़ना), पर्वतारोहण आदि साहसिक गतिविधयों का क्रेज युवाओं में सिर चढ़कर बोल रहा है।
यूं कह सकते हैं कि साहसिक पर्यटन से जुड़ी गतिविधियां प्रकृति और पर्यावरण के साथ सामंजस्य कायम करने की प्रेरणा देती हैं। इसमें प्रकृति हमें चुनौतियों से जूझने की ताकत देती है। वहीं नई खोज, संवेदी उत्तेजना और जिज्ञासा से भर अपने करीब ले आती है। कुमाऊं में राक क्लाइंबिंग व ट्रैकिंग के लिए मुफीद खूबसूरत पहाड़ियों की अच्छी खासी संख्या है जो भले ही गुमनाम हों, लेकिन साहसिक खिलाड़ी इनका महत्व बखूबी समझते हैं। फिलहाल अल्मोड़ा जिले के कुछ मुख्य स्थलों का जिक्र कर लिया जाय।
कोटगाढ़ की चट्टानें हैं बड़ी खास
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- पर्यटक नगरी रानीखेत से लगभग 12 किमी दूर है कोटगाढ़ की चट्टानें।
- हिमदर्शन के कारण भी मजखाली कस्बे से कोरीछीना रोड पर प्राकृतिक चट्टानें राक क्लाइंबिंग के लिए युवाओं की पहली पसंद रहती है।
- समुद्र तल से करीब 1700 मीटर की ऊंचाई पर यह वही पहाड़ी है, जहां कारगिल युद्ध के बाद फौजियों ने चट्टानों पर चढ़ने का विशेष प्रशिक्षण हासिल किया था।
- रानीखेत माउंटेनियरिंग एंड आउटडोर क्लब के संस्थापक अध्यक्ष सुमित गोयल व उनकी टीम ने सेना के जवानों के साथ खूब पसीना बहाया था।
- तब से साहसिक गतिविधियों वाली यह पहाड़ी युवाओं का पसंदीदा स्पाट बन गई है।
रोमांच का दूसरा नाम चील पहाड़
- समुद्रतल से यही कोई 1900 मीटर की ऊंचाई पर चील पहाड़ रोमांच का दूसरा नाम है।
- रानीखेत खैरना स्टेट हाईवे पर पन्याली के ऊपरी भूभाग पर यह पहाड़ी राक क्लाइंबिंग के साथ बरसात के बाद रैपलिंग के लिए भी उपयुक्त है।
- इस पहाड़ी की ओर वर्षों पुराना एक पारंपरिक पैदल मार्ग भी है, जिसे तमाम साहसिक पर्यटक व प्रकृति प्रेमी ट्रैकिंग के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
- यहां से सूर्यास्त का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है।
गनियाद्योली की पिछली पहाड़ी
- रानीखेत में ही विशुवा रोड पर गनियाद्योली की पिछली पहाड़ी भी साहसिक खेलों के लिए खूब पसंद की जाती है।
- इसे पर्वतारोही प्रशिक्षण स्थल के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
- आने वाले दौर में यह स्थल भी साहसिक गतिविधियों का अच्छा केंद्र बनेगा।
रहस्यमयी पांडवाखोली
द्वाराहाट में लगभग 2200 मीटर की ऊंचाई पर पांडवखोली की रहस्यमयी चट्टानें रोमांच बढ़ाती हैं।
अध्यात्म से लबरेज इस पहाड़ी को राक क्लाइंबिंग के लिए खासा पसंद किया जाता है।
खालिस चट्टान वाली पहाड़ी पर चढ़ते उतरते समय एक नई ऊर्जा मिलती है।
कालीमठ की काली चट्टानें
अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर समुद्रतल से 1600 मीटर की ऊंचाई पर अल्मोड़ा कबड़खान रोड पर कालीमठ की पहाड़ी सैन्य प्रशिक्षण के लिए भी माकूल है। काली चट्टानें सौ फुट के आसपास ऊंची हैं।
मुग्ध करता है ड्योलीडांडा
अल्मोड़ा नगर से सटा 1550 मीटर की ऊंचाई पर ड्योलीडांडा क्लाइंबिंग, बोल्डरिंग (बड़ चट्टानों पर चढ़ने का प्रशिक्षण) और पथरोहण के लिए उपयुक्त पहाड़ी है। पिछले भूभाग से विंद्यवासिनी पर्वतमाला (बानड़ीदेवी मंदिर) के साथ हिमालय दर्शन, सूर्योदय व सूर्यास्त का अनूठा दृश्य मुग्ध करता है।
अध्यात्म व साहस का बेजोड़ संगम कसारदेवी हिल
- 1840 मीटर की ऊंचाई पर कसारदेवी की पहाड़ी सकारात्मक तरंगों से लबरेज है।
- अल्मोड़ा नगर से लगभग आठ किमी दूर यह आध्यात्मिक हिल स्टेशन युग पुरुष स्वामी विवेकानंद की तपोस्थली भी रही है।
- वर्तमान में यह रैपलिंग व क्लाइंबिंग के लिए बेहद उपयुक्त स्थल है।
- सूर्यास्त का नजारा यहां से भी बेहद खूबसूरत दिखता है।
- यहीं से कटारमल स्थित सूर्य मंदिर के लिए पैदल ट्रैक रूट है, जिसका इस्तेमाल स्वामी विवेकानंद ने किया था।
फलसीमा की चट्टानें
- अल्मोड़ा के बराबर ही ऊंचाई पर फलसीमा की पहाड़ी भले गुमनाम हो, लेकिन साहसिक पर्यटकों को यहां की चट्टानें खूब आकर्षित करती हैं।
- यह राक क्लाइंबिंग के लिए उपयुक्त प्रशिक्षण स्थल है।
- यहां से सूर्योदय का मनोहारी दृश्य आत्मिक सुकून देता है।
बारापत्थर है बेहद खूबसूरत
- नैनीताल में करीब 2100 मीटर की ऊंचाई पर है राक क्लाइंबिंग के लिए माकूल स्थल बारापत्थर।
- साहसिक गतिविधियों से जुड़े ट्रैकर्स के लिए यह पसंदीदा स्थलों में से एक है।
- यहां से नैनीझील आंख के आकार की नजर आती है।
पिथौरागढ़ में भाटकोट
- पिथौरागढ़ नगर से कुछ दूर सौ फुट ऊंची भाटकोट की चट्टान को प्रकृति ने बड़े ही करीने से शक्ल दी है।
- कहीं पर 90 डिग्री तो कहीं पर 75 डिग्री का कोण बनाती पहाड़ी किसी अजूबे से कम नहीं।
- राक क्लाइंबिंग में कुशल पर्वतारोही इसे प्रशिक्षण स्थल के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं।
सर्द मौसम में ऊर्जा का संचार
पर्वतारोहण समेत साहसिक खेलों का प्रशिक्षण देने वाले राक लीजार्ड ग्रुप के लीडर विनोद भट्ट कहते हैं कि ये सभी गतिविधियां सर्दियों में ठंड से लड़ने की ताकत देती है। राक क्लाइंबिंग, पर्वतारोहण, ट्रैकिंग आदि सर्द मौसम में शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने का सबसे सटीक जरिया माना जाता है।
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