
पटना। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्षीय कक्ष में सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने सत्येन्द्र कुमार पाठक द्वारा रचित पुस्तक ‘सम्मानित साहित्यकार’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने पुस्तक की महत्ता बताते हुए कहा कि यह कृति अत्यंत मूल्यवान, ऐतिहासिक और उन्नायक है।
डॉ. सुलभ ने कहा कि ‘सम्मानित साहित्यकार’ में बिहार की प्रमुख भाषाओं जैसे मगही, भोजपुरी, मैथिली, अंगिका, बज्जिका और हिंदी के अनेक साहित्यकारों तथा उनकी उत्कृष्ट रचनाओं को स्थान दिया गया है, जो इस पुस्तक को एक महत्वपूर्ण भाषाई और साहित्यिक दस्तावेज़ बनाती है।
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पुस्तक के रचनाकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने लोकार्पण समारोह में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “साहित्यकार मानव संस्कृति की आँखें हैं।” उन्होंने बताया कि इसी उदात्त भावना को केंद्र में रखकर उन्होंने ‘सम्मानित साहित्यकार’ नामक इस पुस्तक का सृजन किया है, जिसका उद्देश्य साहित्यकारों के योगदान को सम्मान देना और उनकी कृतियों को जन-जन तक पहुँचाना है।
लोकार्पण समारोह में बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के कई पदाधिकारी और सदस्य उपस्थित रहे, जिन्होंने पुस्तक के सृजन पर सत्येन्द्र कुमार पाठक को बधाई दी और अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर अशोक कुमार, कृष्ण रंजन सिंह, बाँके बिहारी साव और कुमार अनुपम ने अपनी बात रखी और ‘सम्मानित साहित्यकार’ के प्रकाशन को बिहार के साहित्य जगत के लिए एक महत्वपूर्ण घटना बताया।
यह पुस्तक बिहार के विविध भाषाई साहित्य और उसके निर्माताओं को एक मंच पर लाने का एक सफल प्रयास है, जो नई पीढ़ी के साहित्य प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए एक उपयोगी संदर्भ ग्रंथ साबित होगी।








