
राज शेखर भट्ट
देहरादून | उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में बादल फटने और भूस्खलन से उत्पन्न भयावह आपदा के बीच उत्तराखंड सरकार युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई है। तमाम मौसमीय कठिनाइयों के बावजूद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बुधवार को स्वयं ग्राउंड जीरो पर पहुंचे और प्रभावित लोगों से मिलकर उनका दुःख बांटा। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लगातार रेस्क्यू अभियान की जानकारी ले रहे हैं और केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव मदद का भरोसा दिला चुके हैं।
मुख्यमंत्री धामी बुधवार सुबह हेलीकॉप्टर की पहली उड़ान में धराली पहुंचे। आपदा प्रभावितों से मिलते ही कई लोग उनके गले लगकर रो पड़े। मुख्यमंत्री ने सभी को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार हर परिस्थिति में उनके साथ खड़ी है और कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। उन्होंने मौके पर मौजूद राहत कर्मियों से बातचीत की और अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि राहत सामग्री समयबद्ध और पारदर्शी ढंग से सभी पीड़ितों तक पहुंचे। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार की प्राथमिकता हर प्रभावित व्यक्ति तक त्वरित सहायता पहुंचाना और सामान्य जनजीवन को जल्द बहाल करना है। धराली क्षेत्र में राहत सामग्री पहुंचाने के लिए दो हेलीकॉप्टरों की मदद ली जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी का सतत संवाद और केंद्रीय मदद का आश्वासन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार सुबह मुख्यमंत्री से फोन पर बातचीत कर आपदा की ताजा स्थिति और राहत कार्यों की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने उन्हें अवगत कराया कि लगातार बारिश के बावजूद सभी एजेंसियां समन्वय के साथ कार्य कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया और रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी लाने को कहा। बुधवार को यूकाडा के हेलीकॉप्टरों ने सात बार उड़ान भरी। पहली सार्टी में मुख्यमंत्री पहुंचे, दूसरी में जिलाधिकारी और एसपी उत्तरकाशी, जबकि अन्य उड़ानों में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और जिला प्रशासन की टीमों ने धराली में दस्तक दी। एनडीआरएफ के 28 जवान सेटेलाइट फोन के साथ घटनास्थल पर पहुंच चुके हैं, जबकि सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल समेत 10 जवानों को वहां से रेस्क्यू किया गया है। सेना के घायल जवानों को एम्स ऋषिकेश और अन्य मेडिकल सेंटर्स भेजा गया है।
मानव संसाधन और उपकरणों के साथ पूरी ताकत से जुटे हैं बचाव दल
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने जानकारी दी कि अब तक दो शव बरामद हुए हैं और लगभग 15 लोग लापता बताए जा रहे हैं। मौके पर 150 जवानों की राजपुताना राइफल्स, घातक बटालियन के 12 जवान, ITBP के 100 कार्मिक, SDRF के कई टीमें, 40 सेना के जवान, मेडिकल टीमें और मनोचिकित्सकों सहित विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीमें तैनात की जा चुकी हैं। चिनूक हेलीकॉप्टर जौलीग्रांट पहुंच चुके हैं जिनसे एनडीआरएफ के 50 जवानों को घटनास्थल तक भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री ने उत्तरकाशी जिला आपातकालीन केंद्र से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में उपस्थित वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। मार्ग बाधित होने की स्थिति में वैकल्पिक रास्तों की समीक्षा, हेलीपैड उपयोग की रणनीति और उपकरणों के एयर ड्रॉप की रूपरेखा तैयार की गई। खराब मौसम के कारण फिलहाल हवाई रेस्क्यू बाधित हो रहा है, लेकिन मौसम साफ होते ही भारी मशीनरी और अतिरिक्त टीमों को एयर ड्रॉप किया जाएगा।
सड़कों की स्थिति और युद्धस्तर पर खोलने के प्रयास
भटवाड़ी, पापड़गाड़, हर्षिल, लिंचा ब्रिज जैसे कई मार्ग बंद हैं। गंगनानी और लिंचा ब्रिज क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। बैली ब्रिज बनाकर आवाजाही सुचारू करने की कोशिश की जा रही है। BRO और PWD की टीमें सड़कों को खोलने में दिन-रात जुटी हैं ताकि ग्राउंड जीरो तक राहत दल पहुंच सकें। दून मेडिकल कॉलेज, जिला चिकित्सालय उत्तरकाशी, एम्स ऋषिकेश सहित राज्य भर में 65 ICU बेड और 270 जनरल बेड आरक्षित किए गए हैं। 25 एम्बुलेंस तैनात हैं, जबकि विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीमों के साथ पोस्टमार्टम और मनोवैज्ञानिक सहायता के लिए भी विशेष टीमें तैयार की गई हैं।सरकार की अपील और जनसहयोग की आवश्यकता
राज्य सरकार ने आपदा की इस घड़ी में आम जनता से संयम और सहयोग की अपील की है। सरकार द्वारा त्वरित राहत की कोशिश की जा रही है, लेकिन लगातार बारिश और खराब मौसम बड़ी चुनौती बनकर सामने खड़ा है। मुख्यमंत्री धामी ने फिर दोहराया कि “राज्य सरकार पीड़ितों के साथ खड़ी है और कोई भी नागरिक अकेला नहीं है।” धराली की यह त्रासदी उत्तराखंड के लिए एक कठिन परीक्षा बनकर आई है, जिसमें सरकार, सेना, प्रशासन और नागरिकों की साझा जिम्मेदारी है कि हम एकजुट होकर इस आपदा से लड़ें और पुनर्निर्माण की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ें।
राज शेखर भट्ट
(सरकार से मान्यता प्राप्त पत्रकार)
देहरादून, उत्तराखंड