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राष्ट्रीय समाचार

बुलंदशहर के डिबाई की रजनी सिंह और उनका काव्य लेखन का कारोबार

बुलंदशहर के डिबाई की रजनी सिंह और उनका काव्य लेखन का कारोबार, अखबार वालों के पास पैसा भी रहता है इसलिए लेखकों प्रकाशकों से उनकी पुस्तक की समीक्षा का खर्च वह खुद वहन करते हैं, राजीव कुमार झा…

हिंदी में नयी प्रकाशित होने वाली पुस्तकों और नयी रीलिज होने वाली फिल्मों की समीक्षाएं अखबारों में शुरू से प्रकाशित होती रही हैं और अब फेसबुक और न्यूज वेबसाइट पर भी इस प्रकार की समीक्षाएं आती हैं। अखबार वाले जिन लेखकों या प्रकाशकों की किताबों की समीक्षा प्रकाशित करते हैं आज भी समीक्षक को पारिश्रमिक का भुगतान इन लोगों के द्वारा ही होता है।

अखबार वालों के पास पैसा भी रहता है इसलिए लेखकों प्रकाशकों से उनकी पुस्तक की समीक्षा का खर्च वह खुद वहन करते हैं और इसीलिए फेसबुक और वेबसाइट पर अपनी पुस्तकों की समीक्षा लिखवाने की प्रक्रिया में लेखक और प्रकाशक समीक्षक को पारिश्रमिक का भुगतान करना नापसंद करते हैं।

हाल में बुलंदशहर के डिबाई की कवयित्री और समाजसेविका रजनी सिंह ने अपने खंड काव्य ज्ञान शिरोमणि विद्योतमा की समीक्षा मुझसे लिखवाई और किसी न्यूज वेबसाइट पर इसके प्रकाशन के बाद मुझे पारिश्रमिक देने से इंकार किया और पैसा मांगने पर भलाबुरा कहा।

रजनी सिंह अपने नाम से संचालित एक एजुकेशनल ग्रुप की संचालिका है और उसको समीक्षा लेखन का पैसा अगर समीक्षक को नहीं देना है तो वह अखबार वालों से संपर्क करें क्योंकि वहां समीक्षक को दिए जाने वाले पैसों का वहन वे लोग करते हैं।

व्यक्तिगत रूप से समीक्षा लेखन और किसी वेबसाइट पर उसके प्रकाशन का काम अगर वह कराती हैं तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से समीक्षक को रुपयों का भुगतान करना होगा।

पुस्तक समीक्षा : ज्ञान शिरोमणि विद्योतमा (खंड काव्य)

चित्र जितेन : साहू


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