उत्तराखण्ड समाचार

देहरादून व रुड़की में 14 फर्मों पर जीएसटी चोरी का छापा

देहरादून | उत्तराखंड राज्य कर विभाग की केंद्रीयकृत आसूचना इकाई (सीआईयू) ने देहरादून और रुड़की में बड़ी कार्रवाई करते हुए 14 फर्मों पर छापेमारी की है। इन फर्मों पर फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के माध्यम से लगभग छह करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का आरोप है। इस दौरान ₹2.31 करोड़ की टैक्स राशि मौके पर ही वसूली गई

सीआईयू को पोर्टल विश्लेषण से मिला सुराग

सीआईयू को जीएसटी पोर्टल, ई-वे बिल प्रणाली और बिजनेस इंटेलिजेंस पोर्टल के विश्लेषण से संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी मिली। आयुक्त सोनिका के निर्देश पर एक साथ देहरादून और रुड़की में आयरन-स्टील और वर्क कांट्रेक्टर से जुड़ी फर्मों पर छापेमारी की गई।

दिल्ली-यूपी की बंद फर्मों के नाम पर खरीदी

कार्रवाई के दौरान सामने आया कि इन कंपनियों ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश की बंद हो चुकी फर्मों से माल खरीद दिखाकर फर्जी ITC क्लेम किया, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ।

परिवहन के दस्तावेज भी फर्जी

फर्मों द्वारा प्रस्तुत किए गए वाहन दस्तावेजों और माल ढुलाई की जानकारियों में भी अनियमितताएं पाई गईं। जिन वाहनों से माल भेजा दिखाया गया, वे उस समय दूसरे राज्यों में सक्रिय पाए गए। साथ ही कई वाहनों के टोल प्लाजा रिकॉर्ड भी संदेह के घेरे में हैं, जिससे संकेत मिलता है कि वास्तविक माल परिवहन हुआ ही नहीं।

परिवार चलाते थे आपस में जुड़ी फर्में

उपायुक्त निखिलेश श्रीवास्तव ने बताया कि जांच में यह भी पता चला है कि एक ही परिवार के कई सदस्य आपस में मिलीभगत करके फर्जी फर्में चला रहे थे। इनमें से दो फर्में घरों से संचालित हो रही थीं, जबकि बाकी 12 फर्मों के व्यवसायिक स्थल मौजूद हैं।

दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त

कार्रवाई के दौरान विभाग ने व्यापार से जुड़े दस्तावेज, जीएसटी रिकॉर्ड और डिजिटल डिवाइसेज कब्जे में लिए। डिजिटल डेटा का विश्लेषण फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मदद से किया जा रहा है ताकि सभी लेनदेन की सच्चाई सामने लाई जा सके।

आगे भी जारी रहेगा अभियान

अधिकारियों का कहना है कि प्रारंभिक जांच में ही करोड़ों की चोरी उजागर हो गई है, और आगे कई और फर्मों की जांच होनी बाकी है। पूरे मामले की विस्तृत जांच के बाद आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस अभियान में उपायुक्त विजय पांडेय, अर्जुन राणा, अंजलि गुसाईं, दीपक कुमार, सुरेश कुमार, और योगेश मिश्रा जैसे अधिकारी शामिल रहे।

फर्जी आईटीसी के ज़रिए कर चोरी की बढ़ती घटनाएं सरकार की राजस्व प्रणाली के लिए गंभीर चुनौती बनती जा रही हैं। राज्य कर विभाग की यह कार्रवाई न केवल बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी को उजागर करती है, बल्कि उन संगठित तरीकों को भी सामने लाती है जिनके जरिए फर्जी फर्मों के नाम पर राजस्व की हानि पहुंचाई जाती है। आने वाले समय में ऐसे मामलों पर और सख्ती की उम्मीद की जा रही है।


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