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दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित ‘वोट चोरी, गद्दी छोड़ो’ रैली में राहुल गांधी ने बीजेपी और चुनाव आयोग पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए तीखा हमला बोला। उन्होंने संविधान, एक वोट के अधिकार और सत्य बनाम सत्ता की लड़ाई को केंद्र में रखकर मोदी सरकार और आरएसएस को सत्ता से बाहर करने का संकल्प दोहराया।
- ‘चोरी पकड़ी गई है’, इसलिए डगमगाया प्रधानमंत्री का आत्मविश्वास: राहुल गांधी
- संविधान और एक वोट के अधिकार पर हमला अंबेडकर का अपमान: राहुल
- RSS की विचारधारा सत्य नहीं शक्ति को मानती है: राहुल गांधी
- चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप, कानून बदलने और कार्रवाई की चेतावनी
नई दिल्ली। दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित ‘वोट चोरी, गद्दी छोड़ो’ रैली में राहुल गांधी ने बीजेपी और चुनाव आयोग पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए तीखा हमला बोला। उन्होंने संविधान, एक वोट के अधिकार और सत्य बनाम सत्ता की लड़ाई को केंद्र में रखकर मोदी सरकार और आरएसएस को सत्ता से बाहर करने का संकल्प दोहराया। दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार को कांग्रेस की ‘वोट चोरी, गद्दी छोड़ो’ रैली के दौरान लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी और चुनाव आयोग पर जोरदार हमला बोला। हजारों की संख्या में मौजूद कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री का आत्मविश्वास इसलिए खत्म हो चुका है क्योंकि उनकी ‘चोरी पकड़ी गई’ है और उन्हें पता है कि सच्चाई अब धीरे-धीरे पूरे देश के सामने आने वाली है। उन्होंने दावा किया कि यह केवल राजनीतिक लड़ाई नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र को बचाने की निर्णायक लड़ाई है।
राहुल गांधी ने अपने भाषण में संविधान के मूल सिद्धांतों पर जोर देते हुए कहा कि हर भारतीय नागरिक को एक वोट का अधिकार संविधान में स्पष्ट रूप से लिखा गया है और इस अधिकार पर हमला करना सीधे तौर पर डॉ. भीमराव अंबेडकर का अपमान है। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर इस मूल अधिकार को कमजोर कर रही है। राहुल गांधी ने कहा कि जब सत्ता अपने फायदे के लिए संविधान से खिलवाड़ करती है, तब विपक्ष का कर्तव्य बनता है कि वह सड़कों पर उतरकर जनता को सच बताए।
अपने संबोधन के दौरान राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर भी तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी और हिंदू दर्शन में सत्य को सर्वोच्च माना गया है, लेकिन आरएसएस की विचारधारा इससे ठीक उलट है। राहुल गांधी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के अंडमान में दिए गए एक कथित बयान का जिक्र करते हुए कहा कि जब कहा जाता है कि दुनिया सत्य को नहीं बल्कि शक्ति को देखती है, तो यह विचारधारा दरअसल असत्य और सत्ता की पूजा को बढ़ावा देती है। उन्होंने कहा कि आज देश में सत्य और असत्य की लड़ाई चल रही है और कांग्रेस सत्य के साथ खड़ी है।
राहुल गांधी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह सत्य के रास्ते पर चलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और आरएसएस की विचारधारा से संचालित सरकार को सत्ता से बाहर करेंगे। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई किसी एक पार्टी की नहीं, बल्कि उस भारत की आत्मा की है, जहां लोकतंत्र, संविधान और नागरिक अधिकार सर्वोपरि हैं। उनके अनुसार, अगर आज चुप्पी साध ली गई तो आने वाली पीढ़ियों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। चुनाव आयोग को लेकर राहुल गांधी का रुख बेहद आक्रामक नजर आया। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनावों के दौरान बीजेपी ने पैसे बांटे, लेकिन चुनाव आयोग ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। राहुल गांधी ने कहा कि सच और झूठ की इस लड़ाई में चुनाव आयोग निष्पक्ष भूमिका निभाने के बजाय सरकार के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने चुनाव आयोग को ‘छूट’ देने के लिए नया कानून बनाया है, जिससे उसकी स्वायत्तता पर सवाल खड़े होते हैं। राहुल गांधी ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि कांग्रेस पार्टी सत्ता में आने पर इस कानून को बदलेगी और चुनाव आयुक्तों की भूमिका की समीक्षा करेगी। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के अधिकारी यह याद रखें कि वे भारत के चुनाव आयुक्त हैं, किसी एक व्यक्ति या पार्टी के नहीं। राहुल गांधी ने 2023 से जुड़े संदर्भों का हवाला देते हुए कहा कि जो भी लोकतंत्र के खिलाफ खड़ा होगा, उसके खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो।
रामलीला मैदान से दिया गया राहुल गांधी का यह भाषण कांग्रेस की आक्रामक रणनीति और आगामी राजनीतिक संघर्ष का संकेत माना जा रहा है। ‘वोट चोरी’ के मुद्दे को केंद्र में रखकर कांग्रेस अब सीधे तौर पर चुनावी प्रक्रिया, संवैधानिक संस्थाओं और सत्ता के दुरुपयोग पर सवाल उठा रही है, जिससे आने वाले समय में देश की राजनीति और अधिक तीखी होने के संकेत साफ नजर आ रहे हैं।








