
सुनील कुमार माथुर
जोधपुर, राजस्थान
आज हर कोई अपने आप को प्रगतिशील समाज का सभ्य नागरिक कहते हुए गर्व का अनुभव कर रहा हैं जब से मोबाइल युग आया हैं तब से हमारी भारतीय सभ्यता और संस्कृति मटियामेट हो रहीं हैं। हर कोई सुबह से शाम तक बिना सोचे-समझे न जाने व्हाट्सएप पर कितने सुप्रभात के बहाने सुविचार व मनोरंजन के बहाने कितने वीडियो अपने मित्रों, रिश्तेदारों व ग्रुप के साथियों को फारवर्ड करता रहता हैं। वह फारवर्ड करने में इतनी जल्दबाजी करता हैं कि यह भी नहीं देखता कि हमें कब कहां रुकना हैं।
प्रायः यह देखा गया है कि व्हाट्सएप ग्रुप में किसी के निधन की सूचना का समाचार चल रहा हैं और ग्रुप के सदस्य शत् शत् नमन कर रहे हैं फिर भी न जानें क्यों इसी बीच कुछ सदस्य अपनें साथी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं या शादी की सालगिरह की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं डाल देते है फिर तो बधाई व शुभकामनाएं देने वालो की हौड़ सी लग जाती हैं जो उचित नहीं है। चूंकि उस वक्त दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जा रहीं होती हैं। ऐसे दु:खद समाचार के बीच में जन्म दिन व शादी की सालगिरह की बधाई एवं शुभकामनाएं आप उस ग्रुप में पोस्ट न करें। आप संबंधित व्यक्ति को व्यक्तिगत शुभकामनाएं भेज दीजिए।
मैं आशा करता हूं कि हमारे ग्रुप के प्रबुद्ध नागरिक मेरे इस सुझाव से सहमत होंगे। जब हम राह चलते सामने से आ रही शव यात्रा को देखकर थोड़ी देर के लिए रुक जाते हैं और उस दिवंगत व्यक्ति को नमन करते हैं तो फिर व्हाट्सएप ग्रुप में विराम लगाने पर आपत्ति क्यों? खैर यह मेरी नीजी राय हैं फिर आप जैसा उचित समझे।