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कांग्रेस की ‘वोट चोरी’ मुहिम के तहत दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित महा रैली में प्रियंका गांधी वाड्रा ने मोदी सरकार और बीजेपी पर लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने चुनाव आयोग की भूमिका, संसद में बहस से इनकार और महंगाई-बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सरकार की विफलता को लेकर तीखा हमला बोला।
- रामलीला मैदान से प्रियंका गांधी का हल्लाबोल, चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उठाए सवाल
- संसद में जनता के मुद्दों से भाग रही है सरकार: प्रियंका गांधी
- बैलेट पेपर पर चुनाव की चुनौती और बीजेपी पर दबाव की राजनीति का आरोप
- महंगाई, बेरोजगारी और महिला सुरक्षा पर सरकार की विफलताओं का किया खुलासा
नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने ‘वोट चोरी’ के मुद्दे को लेकर अपना राजनीतिक अभियान तेज करते हुए रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विशाल महा रैली का आयोजन किया, जहां कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र की मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला। अपने संबोधन में उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार न केवल चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर रही है, बल्कि संसद में जनता से जुड़े बुनियादी मुद्दों पर चर्चा से भी लगातार बच रही है। प्रियंका गांधी ने कहा कि लोकतंत्र की आत्मा निष्पक्ष चुनाव और जवाबदेह शासन में होती है, लेकिन आज दोनों ही गंभीर संकट में हैं।
प्रियंका गांधी ने संसद की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब विपक्ष ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन और ‘वोट चोरी’ जैसे अहम मुद्दों को उठाने की कोशिश की, तो सरकार ने बहस से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी द्वारा जनता से जुड़े सवालों को सामने रखने के बावजूद सरकार ने प्राथमिकता बदल दी और प्रतीकात्मक विषयों की आड़ में वास्तविक मुद्दों से मुंह मोड़ लिया। उनके अनुसार, यह रवैया दर्शाता है कि सरकार के पास महंगाई, बेरोजगारी और सामाजिक असमानता जैसे सवालों का कोई ठोस जवाब नहीं है।
बीजेपी पर हमला बोलते हुए प्रियंका गांधी ने ‘वॉशिंग मशीन’ शब्द का इस्तेमाल कर सत्ताधारी दल की राजनीति पर तीखा कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि जिन नेताओं पर गंभीर आरोप थे, वे जैसे ही बीजेपी में शामिल हुए, सभी आरोप धुल गए। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले आम चुनावों के दौरान विपक्षी मुख्यमंत्रियों को जेल में डाला गया, कांग्रेस के बैंक खाते फ्रीज किए गए और डर व दबाव का माहौल बनाकर चुनाव लड़ा गया। उनके मुताबिक, यह राजनीतिक प्रतिस्पर्धा नहीं बल्कि सत्ता के दुरुपयोग का उदाहरण है।
चुनाव आयोग को लेकर प्रियंका गांधी का हमला सबसे अधिक तीखा रहा। उन्होंने खुले मंच से चुनौती देते हुए कहा कि बीजेपी एक बार बैलेट पेपर पर निष्पक्ष चुनाव लड़कर दिखाए, तब उसकी असली ताकत सामने आ जाएगी। उन्होंने दावा किया कि मौजूदा हालात में चुनाव आयोग के सहयोग के बिना नरेंद्र मोदी चुनाव नहीं जीत सकते। प्रियंका गांधी ने चुनाव आयोग के तीन वरिष्ठ अधिकारियों के नाम लेते हुए कहा कि देश इन्हें याद रखेगा, क्योंकि पहली बार ऐसा हो रहा है जब पूरा विपक्ष किसी संवैधानिक संस्था पर भरोसा नहीं कर पा रहा है।
अपने भाषण में प्रियंका गांधी ने सरकार की नीतिगत विफलताओं को भी गिनाया। उन्होंने कहा कि महंगाई लगातार बढ़ रही है, बेरोजगारी युवाओं को हताश कर रही है, महिला सुरक्षा एक गंभीर चुनौती बनी हुई है और विदेश नीति कमजोर पड़ चुकी है। डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती स्थिति का जिक्र करते हुए उन्होंने सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाए। इसके साथ ही उन्होंने पेपर लीक, सार्वजनिक संपत्तियों के निजी हाथों में जाने और कथित घोटालों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इन सब पर संसद में चर्चा तक नहीं होने दी जाती।
प्रियंका गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री कार्यालय से जुड़े लोगों पर गंभीर आर्थिक अनियमितताओं के आरोप सामने आए हैं, लेकिन इन मामलों पर भी सरकार चुप्पी साधे हुए है। उनके अनुसार, लोकतंत्र में सवाल पूछना विपक्ष का अधिकार है, लेकिन मौजूदा सरकार सवालों से डरती है और संस्थाओं का इस्तेमाल करके उन्हें दबाने की कोशिश करती है। रामलीला मैदान की इस रैली में प्रियंका गांधी का भाषण कांग्रेस की आगामी रणनीति और राजनीतिक तेवर का संकेत माना जा रहा है। ‘वोट चोरी’ के मुद्दे को केंद्र में रखकर कांग्रेस अब सीधे तौर पर चुनावी प्रक्रिया और संवैधानिक संस्थाओं की भूमिका पर सवाल खड़े कर रही है, जिससे आने वाले दिनों में राजनीतिक माहौल और अधिक गर्माने के संकेत मिल रहे हैं।








